सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां लिखनेवाले अल्लामा इक़बाल की शायरी में गहरे विचार, उपमाओं और रूपकों की कमी नहीं होती थी. वे प्रतीकों के माध्यम से अपनी बात कहने के लिए जाने जाते थे. प्रस्तुत है उनकी एक मशहूर रचना ‘सितारों से आगे जहां और भी हैं’.
सितारों से आगे जहां और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहां और भी हैं
तही ज़िंदगी से नहीं ये फ़ज़ाएं
यहां सैकड़ों कारवां और भी हैं
क़नाअत न कर आलम-ए-रंग-ओ-बू पर
चमन और भी आशियां और भी हैं
अगर खो गया इक नशेमन तो क्या ग़म
मक़ामात-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां और भी हैं
तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा
तिरे सामने आसमां और भी हैं
इसी रोज़ ओ शब में उलझ कर न रह जा
कि तेरे ज़मान ओ मकां और भी हैं
गए दिन कि तन्हा था मैं अंजुमन में
यहां अब मिरे राज़-दां और भी हैं
Illustration: Pinterest