ग़ज़लें तो हमेशा ही यथार्थपरक होती हैं. ग़ज़ल की दुनिया में राजेश रेड्डी एक जानामाना नाम हैं. उनकी इस ग़ज़ल के हर शेर की सच्चाई पर आप वाह-वाह कर उठेंगे.
ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा
वहां भी रेत का अम्बार होगा
ये सारे शहर में दहशत सी क्यूं है
यक़ीनन कल कोई त्यौहार होगा
बदल जाएगी उस बच्चे की दुनिया
जब उस के सामने अख़बार होगा
उसे नाकामियां ख़ुद ढूंढ़ लेंगी
यहां जो साहब-ए-किरदार होगा
समझ जाते हैं दरिया के मुसाफ़िर
जहां मैं हूं वहां मंझधार होगा
ज़माने को बदलने का इरादा
कहा तो था तुझे बेकार होगा