• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

सच होती नज़र आ रही डेढ़ सौ बरस से ज़्यादा पुरानी एक भविष्यवाणी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
July 20, 2021
in ज़रूर पढ़ें, नज़रिया, सुर्ख़ियों में
A A
सच होती नज़र आ रही डेढ़ सौ बरस से ज़्यादा पुरानी एक भविष्यवाणी
Share on FacebookShare on Twitter

आज के समय में इससे ज़रूरी शायद दूसरा दस्तावेज़ नहीं हो सकता. इसे अपनी डायरियों में उतार लें, पोस्टर बना कर अपने आसपास की दीवारों को पाट दें, संभव हो तो इसे अपने ख़ून या सोने की स्याही से लिख कर फ्रेम करवा लें और अपने घर में उस जगह टांगें, जहां से आपको और आपकी संततियों को इसकी इबारत हर समय दीखती रहे, बल्कि हो सके तो इसे कंठस्थ कर रखें. अगर आप बचे रह गए तो!

अगर आप बचे रह गए तो… तो क्या शुरू होगा इसे जानने के लिए सबसे पहले एक छोटी-सी प्रस्तावना: अमेरिका के बसने की कहानियां पढ़ेंगे तो पाएंगे असीम लालच की ईंटों से बनी इस बदसूरत ज्यामितीय संरचना की सम्पन्नता की बुनियाद में लगे गारे को वहां के मूल निवासियों का खून मिलाकर बनाया गया था. प्रकृति से सच्ची मोहब्बत करने वाले और अद्भुत सामुदायिक चेतना से भरपूर इन बहादुर मूल निवासियों को असभ्य आदिवासी कह कर संबोधित किया गया. उन्हें सभ्य बनाने और उनकी संपत्ति हड़पने के लिए यूरोप से आए गोरे लुटेरों-अपराधियों ने जिस पैमाने पर ख़ौफ़नाक नरसंहार, मारकाट और हिंसा की उसकी थोड़ी बहुत भी कल्पना करनी हो तो कुछ किताबों को ज़रूर पढ़ा जाना चाहिए. इनमें फ़ॉरेस्ट कार्टर की ‘एजुकेशन ऑफ़ द लिटल ट्री’, विलियम ऑस्बोर्न की ‘द वाइल्ड फ्रंटियर’ और एलेन एक्सेलरॉड के ‘क्रॉनिकल्स’ के नाम फ़िलहाल याद आ रहे हैं.

आज से कोई एक सौ सत्तर साल पहले जब ये अत्याचार अपने चरम पर थे, सूकामिश नाम के ऐसे ही क़बीले में सिएटल नाम का एक वीर सरदार हुआ. एक निडर युवा योद्धा के तौर पर उसने अपने आसपास के छः स्थानीय कबीलों का नेतृत्व किया. दिसंबर 1854 में उसने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन पीयर्स को संबोधित करते हुए एक ख़त लिखा था.
“वाशिंगटन के सरदार ने संदेसा भेजा है कि वह हमारी ज़मीन ख़रीदना चाहता है. आप आसमान को बेच या ख़रीद कैसे सकते हैं- आप धरती के ताप को कैसे ख़रीद सकते हैं? हमारे लिए तो यह विचार ही अजीब है. यह अलग बात है कि हवा की ताज़गी या पानी की चमक पर हमारा कोई अधिकार नहीं. इन्हें आप हमसे कैसे ख़रीद सकते हैं? इस धरती का हर हिस्सा मेरे क़बीले के लोगों के लिए पवित्र है. चीड़वृक्षों का एक-एक सुईपत्ता, एक-एक रेतीला तट, जंगल की एक-एक अंधेरी रात, एक-एक खुला मैदान और एक-एक गुनगुनाता झींगुर-पतंगा मेरे लोगों की स्मृति और अनुभव में पवित्रता से दर्ज हैं.

इन्हें भीपढ़ें

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
Butterfly

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024

हम पेड़ के भीतर बहने वाले जीवन जल को उस रक्त की तरह जानते हैं, जो हमारी नसों में बहता है. हम इस धरती के हिस्से हैं और धरती हमारा हिस्सा है. ख़ुशबूदार फूल हमारी बहनें हैं. भालू, हिरन, बाज़– ये सारे सहोदर हैं हमारे! चट्टानी ऊंचाइयां, चारागाह की घास, खच्चर के शरीर की गर्मी और मनुष्य– ये सब एक ही परिवार के सदस्य हैं.
नदियों और धाराओं में बहने वाला पानी केवल पानी नहीं है, वह हमारे पुरखों का रक्त है. पानी की छलछल मेरे पिता के पिता की आवाज़ है. महानद हमारे भाई हैं. वे हमारी प्यास बुझाते हैं. वे हमारी डोंगियों को लेकर जाते हैं और हमारे बच्चों को भोजन देते हैं. तुमने नदियों को वैसी मोहब्बत करना होगी जैसी तुम अपने भाई से करते हो.
क्या तुम अपने बच्चों को वह सिखाओगे जो हमने अपने बच्चों को सिखाया है? कि धरती हमारी मां है. कि जो धरती पर गुज़रता है वह धरती के बच्चों पर भी गुज़रता है.

हमें इतना मालूम है- धरती मनुष्य की जागीर नहीं है, आदमी धरती की जागीर है. सारी चीज़ें उस रक्त की तरह एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं, जो हम सबको एक बनाता है. जीवन का तानाबाना आदमी ने नहीं बुना. वह फ़कत एक रेशा है उसका. उस तानेबाने के साथ आदमी जैसा सुलूक करता है वही उसके साथ भी होता है. हम इस धरती को उस तरह प्यार करते हैं, जैसे एक नवजात अपने मां के दिल की धड़कन से करता है.

हम जानते हैं हमारा जीवन गोरे आदमी की समझ में नहीं आता. उसके लिए धरती का हर टुकड़ा बगल वाले टुकड़े जैसा ही होता है, क्योंकि वह रातों को आनेवाला ऐसा अजनबी है, जो धरती से अपने काम की चीज़ें जब चाहे चुरा ले जाता है. वह अपने पुरखों की कब्रें छोड़ जाता है और उस के बच्चों का जन्माधिकार बिसरा दिया जाता है.

गोरे आदमी के शहरों में कोई भी शांत जगह नहीं. कोई जगह नहीं जहां वसंत की पत्तियों या कीड़ों के परों की फड़फड़ सुनी जा सके. लेकिन चूंकि मैं जंगली हूं इसलिए समझा नहीं सकता आपका शोर मेरे कानों के लिए एक अपमान ही है बस. वैसे जीवन में बचता ही क्या है अगर आप चिड़िया की कूक न सुन सकें या रात को तालाब के गिर्द मेढकों के तर्कों को न समझ पाएं?
गोरे लोग भी एक दिन इस संसार से चले जाएंगे- शायद बाक़ी क़बीलों से पहले ही. तुम अपने बिस्तर को गंदा किए जाओ और एक रात तुम्हारे अपने कचरे से तुम्हारा दम घुट जाएगा. जब सारी भैंसें काटी जा चुकी होंगी, सारे जंगली घोड़े पालतू बना लिए गए होंगे, कहां होंगे आदमियों की गंध से अटे जंगलों के गुप्त कोने और कहां वे पहाड़ी दृश्य? – वे जा चुके होंगे. बाज़ कहां होगा?- जा चुका होगा. जीवन का अंत हो चुका होगा- तब शुरू होगा बचे रहने का युद्ध.”

फ़ोटो: पिन्टरेस्ट, fineartcanvas.com

Tags: An Important Documentashok pandeyEarthFalconForestFrogsNative AmericansRiversThe Story of AmericaTreesअमेरिका के बसने की कहानीअमेरिका के मूल निवासीअशोक पांडेआदिवासीएक ज़रूरी दस्तावेज़जंगलधरतीनदियांपेड़बाज़मेंढकसिएटलसिएटल का ख़तसूकामिश क़बीला
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Bird_Waching
ज़रूर पढ़ें

पर्यावरण से प्यार का दूसरा नाम है बर्ड वॉचिंग

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.