मधुशाला और अग्निपथ जैसी गंभीर रचनाओं के कवि हरिवंशराय बच्चन उम्दा बाल कविताएं भी लिखते थे. उनकी कविता ‘आ रही रवि की सवारी’ आपने स्कूली दिनों में ज़रूर पढ़ी या सुनी होगी.
नव-किरण का रथ सजा है
कलि-कुसुम से पथ सजा है
बादलों-से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी
आ रही रवि की सवारी
विहग, बंदी और चारण
गा रही है कीर्ति-गायन
छोड़कर मैदान भागी, तारकों की फ़ौज सारी
आ रही रवि की सवारी
चाहता, उछलूं विजय कह
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है, राह में बनकर भिखारी
आ रही रवि की सवारी
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