पेशे से इंजीनियर रहे नरेश सक्सेना विलक्षण कवि हैं. उनकी कविताओं में विज्ञान और मनोविज्ञान की गहरी छाप दिखती है. प्रस्तुत हैं, उनकी पांच छोटी-छोटी कविताएं, ‘पानी, आघात, कुछ लोग, सीढ़ी और दीमकें’ जिनके मायने काफ़ी बड़े हैं. इनकी किताब समुद्र पर हो रही है बारिश अद्भुत है.
1. आघात
आघात से कांपती हैं चीज़ें
अनाघात से उससे ज़्यादा
आघात की आशंका से
कांपते हुए पाया ख़ुद को
***
2. कुछ लोग
कुछ लोग पांवों से नहीं
दिमाग़ से चलते हैं
ये लोग
जूते तलाशते हैं
अपने दिमाग़ के नाप के
***
3. सीढ़ी
मुझे एक सीढ़ी की तलाश है
सीढ़ी दीवार पर
चढ़ने के लिए नहीं
बल्कि नींव में उतरने के लिए
मैं क़िले को जीतना नहीं
उसे ध्वस्त कर देना चाहता हूं
***
4. पानी
बहते हुए पानी ने
पत्थरों पर निशान छोड़े हैं
अजीब बात है
पत्थरों ने पानी पर
कोई निशान नहीं छोड़ा
***
5. दीमकें
दीमकों को
पढ़ना नहीं आता
वे चाट जाती हैं
पूरी
क़िताब
कवि: नरेश सक्सेना (संपर्क: 09450390241)
कविता संग्रह: समुद्र पर हो रही है बारिश
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