• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब नई कहानियां

आज़ादी: मीनाक्षी विजयवर्गीय की कहानी

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 4, 2022
in नई कहानियां, बुक क्लब
A A
Meenakshi-Vijayvargiya-kahani
Share on FacebookShare on Twitter

एक ही घटना को देखने के अलग नज़रिए होते हैं. किसी की आज़ादी, किसी के लिए धोखा हो सकती है. पढ़ें, मीनाक्षी विजयवर्गीय की रोचक कहानी.

मैं किताबें लेकर कमरे से बाहर आई देखा तो मम्मी लड्डू बना रही थी. ‘फिर लड्डू!’ मेरे कहते ही मम्मी ने एक डिब्बा थमाकर कहा,‘अच्छा हुआ तू आ गई. जा यह डिब्बा सरिता आंटी के यहां देकर आ जा.’
‘अरे नहीं, मम्मी आप भी!’ मैंने ना कहना चाहा, पर मम्मी के हावभाव देखकर जाना ही ठीक लगा. मैं सरिता आंटी के यहां पहुंची तो देखा कि नवीन अंकल बाहर ही आ रहे हैं, मुझे देख कर बोले,‘लड्डू लाई हो?’
मैंने बोला ‘हां’.
‘जाकर चुपचाप किचन में रख देना तेरी आंटी का मूड ऑफ़ है.’
‘क्यों?’
‘जा कर ख़ुद देख लो.’
मैं किचन में गई. डिब्बा रखा. आंटी के कमरे में जाकर देखा तो आंटी पिंजरा गोद में रखकर बैठी रो रही थीं. उनका ज़रा भी ध्यान नहीं था मुझ पर. मैं अंदर उनके पास गई तो मुझे देख कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगीं. मैंने ख़ाली पिंजरा देख सोचा कि कहीं मन्नू के प्राण पखेरू तो नहीं उड़ गए. मन्नू सरिता आंटी का तोता था. आंटी रोते-रोते कहने लगी देख रिया मन्नू मुझे छोड़कर चला गया. अब तो मेरा शक़ यक़ीन में बदल गया कि मन्नू मर गया. मैंने पूछा यह सब कब हुआ? आंटी रोते-रोते कहने लगीं,‘देख उसने ज़रा नहीं सोचा, 8 साल से कैसे पलकों पर बिठा कर रखा था, कोई ऐसे जाता है क्या भला?’
तभी अंकल आ गए आंटी को डांटते हुए कहने लगे,‘तुम भी ग़ज़ब कर रही हो. उसकी एग्ज़ाम है, तुम उससे अपना रोना रो रही हो. एक उड़ गया कोई बात नहीं, दूसरा ले आएंगे और हां अब उसको खुला मत छोड़ना.’
ओहो यह क्या, मैं तो सोच रही थी कि मन्नू मर गया, पर वह तो उड़ गया. न जाने क्यों, मेरा थोड़ी देर पहले जो दुखी मन था, अचानक ही ख़ुश हो गया. नवीन अंकल बोले,‘बेटा तुम जाओ मैं सब देख लूंगा.’
‘ओके अंकल, आंटी का ध्यान रखिए,’ कहकर मैं घर आ गई. अंदर ही अंदर अचानक बहुत ज़्यादा ख़ुश थी. आते ही थाली में से एक लड्डू मुंह में रख लिया. मम्मी ने पूछा,‘यह क्या आज सूरज कहां से निकला? तुम और लड्डू!’
मेरी ख़ुशी मेरे चेहरे पर दिखने लगी. अब मम्मी से क्या छुपाना. मैंने बोलना शुरू किया,‘मम्मी, सरिता आंटी का तोता उड़ गया.’ मेरे चेहरे पर हंसी देखकर मम्मी को ग़ुस्सा आ गया. ‘क्या ग़ज़ब हो गया. इतनी बड़ी बात हो गई है, तुझे देखो ख़ुश होकर कह रही है. कब हुआ? यह सब कैसे?’ मम्मी ने लड्डू बनाना छोड़ा. हाथ धोने के लिए दौड़ी, हाथ धोते-धोते भी वह मुझे ग़ुस्से से देख रही थी. उन्होंने कहा,‘मैं जाती हूं सरिता के पास. बेचारी बहुत दुखी होगी.’ इधर मेरे मन में ख़ुशी के लड्डू और मुंह में बेसन के लड्डू फूट रहे थे. मम्मी चली गई, मैं अब बेफिक्र घर में अकेली ख़ुशी मना रही थी. वाह मन्नू कमाल कर दिया, देर से ही सही पर तू आज़ाद हो गया. इतना कुछ सहन कर रहा था तू. मैं तुझे बाय भी नहीं कह पाई. और ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगी. सच बताऊं मैं क्यों ख़ुश थी? बेशक़, उसके आज़ादी के लिए.
आंटी का एक ही बेटा है, अनमोल भैया. उन्होंने उन्हें हॉस्टल में रखा, कोचिंग करवाई, विदेश पढ़ने भेज दिया. नौकरी लगने के बाद फिर वहीं भैया ने शादी कर ली और अब वह यहां आने को तैयार नहीं. नवीन अंकल अपने काम में इतना व्यस्त रहते हैं कि उन्हें किसी का होना ना होना मालूम ही नहीं पड़ता. इसलिए उन्होंने आंटी के अकेलेपन को दूर करने के लिए तोता ख़रीद के ला दिया था. 8 साल से वह आंटी के साथ था. मेरी ख़ुशी का कारण यह था कि उसका आज़ाद हो जाना. कोई भी रिश्ता चाहे इंसान से हो या जानवर से, हर किसी को अपनी आज़ादी प्यारी होती है. जब भी मैं या कोई और आंटी के यहां जाता तो आंटी मन्नू के पीछे पड़ जाती, हैलो बोलो, राम राम कहो, घूम कर दिखाओ, यह खाओ, पानी फेंको. पता नहीं क्या-क्या करवातीं. बेचारा पिंजरे में बंद क्या करता, क्या ना करता, सब सहता. मुझे तो शुरू से ही किसी को बांधकर या पिंजरे में बंद जानवर पसंद ही नहीं. अनमोल भैया को जब परिवार की ज़रूरत थी, तब उन्हें किसी ने नहीं समझा. उन्हें उनकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ पढ़ने भेजा और जब उनको परिवार और सहयोग की ज़रूरत थी, तब वह नहीं मिला, ना ही आज़ादी. बस नतीजा क्या हुआ, उन्होंने अपना परिवार अलग बना लिया. अंकल आंटी के बिना रहना सीख लिया. मन्नू को तो वह वैसे भी अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए ही इस्तेमाल कर रही थीं. मन्नू के मन में क्या चल रहा होगा. धीरे-धीरे उसने आंटी को समझा होगा कि वह मेरी मालकिन हैं. दाना पानी सब वही देती हैं. पर यही सब कुछ नहीं होता है. उसका परिवार उसके साथी तो कहीं और हैं. उसके लिए एक पत्थर का घर, घर नहीं है. उसे तो एक पेड़ ही काफ़ी है.
रिश्ता किसी के भी साथ हो, उसकी उम्र तभी लंबी होती है जब उसमें आज़ादी, प्यार, विश्वास, सहयोग मिलता हो. कोई किसी का इस्तेमाल करें तो रिश्ता, रिश्ता नहीं होता. आप किसी को अपनी ख़ुशियों, सुविधाओं के लिए बंद करके या बांधकर नहीं रख सकते.
तभी मम्मी वापस आ गई. ‘क्या ज़माना आ गया है. इतना लाड़ प्यार दिया उसे, विश्वास किया. उसी ने धोखा दे दिया.’ मम्मी मन्नू के लिए कह रही थी. अपनी ख़ास सहेली का दु:ख बहुत बड़ा लग रहा था. उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि हर किसी को अपनी आज़ादी प्यारी होती है. मन्नू बोल नहीं सकता था, पर मन में कितना विद्रोह चल रहा होगा. पापा के आते ही मम्मी फिर शुरू हो गईं. ‘सरिता ने एक महीने पहले ही पेड़ ख़रीदा था. पिंजरे से निकलकर उसी पेड़ पर आराम से फुदकता रहता था. पर देखो मौक़ा पाते ही उड़ गया सरिता का मन्नू.’ पापा ने कहा,‘बुरा हुआ यह तो. पर ठीक भी है आसमान का पंछी आसमान में ही अच्छा लगता है.’
पापा की यह बात सुनकर मम्मी ने भी हां में हां मिलाकर कहा,‘हां, यह भी सही है. सब तय होता है पहले से ही. शायद इतना ही साथ होगा उसका सरिता के साथ.’
और इधर मैं मन ही मन मुस्कुरा रही थी. कानों में हेडफ़ोन लगाकर गाना सुन रही थी और आते-जाते लड्डू खाकर मन्नू की आज़ादी का जश्न मना रही थी.

Illustration: Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों: सफ़दर हाशमी की कविता

September 24, 2024

Meenakshi-Vijayvargiya

Tags: AazadiHindi KahaniHindi StoryHindi writersKahaniMeenakshi VijayvargiyaMeenakshi Vijayvargiya ki kahaniMeenakshi Vijayvargiya ki kahani AazadiMeenakshi Vijayvargiya storiesNai KahaniOye Aflatoon Kahaniआज़ादीओए अफ़लातून कहानीकहानीनई कहानीमीनाक्षी विजयवर्गीयमीनाक्षी विजयवर्गीय की कविताहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा
बुक क्लब

ग्लैमर, नशे और भटकाव की युवा दास्तां है ज़ायरा

September 9, 2024
लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता
कविताएं

लोकतंत्र की एक सुबह: कमल जीत चौधरी की कविता

August 14, 2024
बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता
कविताएं

बहुत नहीं सिर्फ़ चार कौए थे काले: भवानी प्रसाद मिश्र की कविता

August 12, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.