अक्सर लोग कहते सुने जाते हैं कि आजकल अच्छे बच्चे मुश्क़िल से मिलते हैं. पर जो अच्छे बच्चे मिलते भी हैं, उनसे लोग कराते क्या हैं? पढ़ें कवि नरेश सक्सेना की कविता ‘अच्छे बच्चे’.
कुछ बच्चे बहुत अच्छे होते हैं
वे गेंद और ग़ुब्बारे नहीं मांगते
मिठाई नहीं मांगते ज़िद नहीं करते
और मचलते तो हैं ही नहीं
बड़ों का कहना मानते हैं
वे छोटों का भी कहना मानते हैं
इतने अच्छे होते हैं
इतने अच्छे बच्चों की तलाश में रहते हैं हम
और मिलते ही
उन्हें ले आते हैं घर
अक्सर
तीस रुपये महीने और खाने पर
कवि: नरेश सक्सेना (संपर्क: 09450390241)
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