भारतीय सिनेमा ऐसे अभिनेताओं से अटा पड़ा है, जिन्होंने आगे चलकर फ़िल्में प्रोड्यूस ही नहीं, डायरेक्ट भी की. इस मामले में अभिनेत्रियां काफ़ी पीछे रहीं. जहां अभिनेत्री-प्रोड्यूसर देविका रानी के तौर पर भारतीय सिनेमा को बहुत शुरुआती दिनों में ही महिला प्रोड्यूसर नसीब हुआ था, वहीं अभिनेत्री-डायरेक्टर के इंतज़ार में उसे लंबा समय बिताना पड़ा. बहुत कम ही बॉलिवुड अभिनेत्रियां हैं, जिन्होंने अभिनय के साथ या अभिनय के बाद निर्देशन में आने का फ़ैसला किया.
अपर्णा सेन
महान फ़िल्मकार सत्यजीत रे की फ़िल्म तीन कन्या से महज़ 15 वर्ष की उम्र में फ़िल्मों में डेब्यू करनेवाली अपर्णा सेन को जितनी क़ामयाबी बतौर अभिनेत्री मिली, उससे कहीं अधिक मक़बूलियत निर्देशक के तौर पर मिली. बतौर निर्देशक अपनी पहली फ़िल्म 36 चौरंगी लेन से उन्होंने गंभीर सिनेमा के प्रति अपने समर्पण की झलक दिखाई. उन्होंने परोमा, सती, परोमितार एक दिन, मिस्टर ऐंड मिसेज़ अय्यर, द जापानीज़ वाइफ़ जैसी कई चर्चित और सफल फ़िल्मों का निर्देशन किया.
हेमा मालिनी
दक्षिण से आकर बॉलिवुड में अपनी ख़ास जगह बनानेवाली हेमा मालिनी ने भी अभिनय की सफल पारी के बाद बतौर डायरेक्टर कुछ चर्चित फ़िल्में बनाईं. हेमा ने दिल आशना है, मोहिनी, टेल मी ओ ख़ुदा जैसी फ़िल्मों का निर्देशन किया है. दिल आशना है ने शाह रुख़ खान को बॉलिवुड में बतौर लीड अभिनेता पहचान दिलाने में मदद की थी.
रेवती
दक्षिण की ही मशहूर अभिनेत्री रेवती ने कुछ हिंदी में फ़िल्मों में भी काम किया है. वे उन चुनिंदा अभिनेत्रियों में हैं, जिन्होंने निर्देशन की राह पकड़ी. फिर मिलेंगे, मुंबई कटिंग और केरला कैफ़े इनकी बतौर डायरेक्टर कुछ अहम फ़िल्में हैं.
कोंकणा सेन शर्मा
कोंकणा सेन शर्मा कितनी उम्दा अदाकारा है, वह इस बात से पता चलता है कि उन्होंने अभिनय के लिए अब तक दो नैशनल और चार फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स जीते हैं. अपनी मां अपर्णा सेन की तरह ही उन्होंने भी अभिनय के बाद निर्देशन में भी हाथ आज़माया. नामकोरन नामक बंगाली शॉर्ट फ़िल्म बनाने के बाद उन्होंने डेथ इन गंज नामक फ़ुल लेंथ फ़ीचर फ़िल्म का निर्देशन किया था. इस फ़िल्म के लिए उन्हें बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड मिला था.
नंदिता दास
कला फ़िल्मों की बड़ी अभिनेत्री नंदिता दास के अभिनय के बारे में जितना कहें कम हैं. वर्ष 2008 में उन्होंने फ़िल्म फ़िराक़ से डायरेक्टर के तौर पर अपनी छाप छोड़ी थी. वर्ष 2018 में रिलीज़ हुई उनकी फ़िल्म मंटो की लोगों ने काफ़ी तारीफ़ की थी.
पूजा भट्ट
निर्देशक पिता महेश भट्ट की पुत्री पूजा ने अभिनय के बाद अपने पिता के पेशे यानी डायरेक्शन में हाथ आज़माया. वर्ष 2003 में रिलीज़ हुई पाप बतौर निर्देशक उनकी पहली फ़िल्म थी. उन्होंने आगे हॉलिडे, धोखा, कजरारे और जिस्म 2 जैसी कई फ़िल्मों का निर्देशन किया.
कंगना रनोट
मौजूदा दौर की प्रमुख अभिनेत्रियों में कंगना रनोट एक ऐसी अदाकारा हैं, जिन्होंने अपनी फ़िल्म का निर्देशन भी किया है. वर्ष 2019 में रिलीज़ हुई अपनी फ़िल्म मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ़ झांसी से कंगना ने पहली बार निर्देशक की कुर्सी संभाली थी.