अक्सर लोगों को नींद नहीं आती तो वे दूसरों को भी सोने नहीं देते. दिवंगत कवि चंद्रकांत देवताले की कविता कहती है कि अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही है तो दूसरों की नींद हराम मत करो, क्योंकि…
अगर तुम्हें नींद नहीं आ रही
तो मत करो कुछ ऐसा
कि जो किसी तरह सोए हैं उनकी नींद हराम हो जाए
हो सके तो बनो पहरुए
दुःस्वप्नों से बचाने के लिए उन्हें
गाओ कुछ शान्त मद्धिम
नींद और पके उनकी जिससे
सोए हुए बच्चे तो नन्हें फरिश्ते ही होते हैं
और सोई स्त्रियों के चेहरों पर
हम देख ही सकते हैं थके संगीत का विश्राम
और थोड़ा अधिक आदमी होकर देखेंगे तो
नहीं दिखेगा सोये दुश्मन के चेहरे पर भी
दुश्मनी का कोई निशान
अगर नींद नहीं आ रही हो तो
हंसो थोड़ा , झांको शब्दों के भीतर
ख़ून की जांच करो अपने
कहीं ठंडा तो नहीं हुआ
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