आप जब कभी पर्यटन के लिए कहीं जाते हैं और आपको वहां की लोक सभ्यता और लोक कथाओं के बारे में जानकारी हो तो आपको उस जगह की पड़ताल करने में और दिलचस्पी जागती है, घूमने में और मज़ा आता है. हम चाहते हैं कि अंडमान जाने से पहले आपको पता हो कि वहां काफ़ी लोक कथाएं प्रचलित हैं और उनमें से नारियल के जन्म की एक लोक कथा हमें सुना रहे हैं ग़ालिब मुसाफ़िर.
तो जनाब! नारियल का जन्म कैसे हुआ इस बारे में अंडमान की लोक कथा कहती है कि पुराने समय में कार-निकोबार के एल्कामेरो में दो मित्र रहते थे. एक का नाम असोंगी और दूसरे का एनालो था. दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे. वे साथ-साथ काम करते, जो कुछ वे कमाते उससे साथ-साथ खाते और दुःख-सुख में साथ रहते. दोनों पूरे दिन काम में लगे रहते थे.
कार-निकोबार में एक बार सूखा पड़ा. हालांकि निकोबार चारों ओर समुद्र से घिरा था, लेकिन पूरे साल पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी थी. सारे कुएं सूख गए थे. मनुष्य, जानवर, पक्षी बिना पानी के मर रहे थे.
असोंगी एक अच्छा जादूगर था. उसके गांव वाले ही नहीं दूर-दूर से दूसरे लोग भी उसका जादू देखने को आते थे. एक दिन दोनों दोस्त घास काटने को गए. असोंगी को अपनी छुरी तेज करनी थी, लेकिन आसपास कहीं पानी नजर नहीं आ रहा था. ऐसे में असोंगी जंगल में घुस गया और जादू के बल पर जमीन से पानी निकाल लिया. उसे लेकर वह अपने मित्र एनालो के पास आया. एनालो को बड़ा आश्चर्य हुआ.
“यह पानी तुम कहां से ले आए?” उसने असोंगी से पूछा.
“जंगल के भीतर से.” असोंगी ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया.
“देखो, मैं तुम्हारा सबसे गहरा दोस्त हूं.” एनालो लालचपूर्वक बोला, ”मुझे भी यह जादू सिखाओ न!”
“एनालो, मेरे दोस्त, मुझे तुम्हारी दोस्ती पर कोई शक़ नहीं.” असोंगी ने सपाट आवाज़ में बोलना शुरू किया, “लेकिन, मेरे गुरुजी का कहना था कि हर विद्या, हर आदमी को नहीं सिखाई जा सकती. इसलिए…”
“अच्छा! तो मैं जादू सीखने के योग्य नहीं हूं?” उसकी बात सुनकर एनालो क्रोधपूर्वक चीख़ा. इस नाराज़गी में उसने अपने मित्र का सिर धड़ से उड़ा दिया. असोंगी के धड़ को उसने वहीं दफ़न कर दिया और सिर को लेकर घर आ गया. घर पर उसने असोंगी के सिर को एक खम्भे पर लटका दिया.
रात में वह सिर एनालो से बहुत-सी बातें किया करता था. इससे डरकर एनालो गांव छोड़कर भाग गया. वह दूसरे गांव में जा पहुंचा. वहां उसने शादी की और आराम से रहने लगा. कुछ समय बाद उसके घर एक पुत्री का जन्म हुआ. वह एक ख़ूबसूरत बच्ची थी. सभी उसे बहुत प्यार करते थे.
एक बार अचानक वह बच्ची बीमार पड़ गई. एनालो ने उसका बहुत इलाज कराया, लेकिन किसी भी दवा से उसे आराम नहीं हुआ.
दुःखी और थका-हारा एनालो एक रात जल्दी सो गया. गहरी नींद में उसने एक स्वप्न देखा. सपने में उसके दोस्त असोंगी के कटे हुए सिर ने उससे यह कहा :
“इस सिर को ज़मीन में दबा दो. उससे एक पेड़ उगेगा. जब उस पर फल आ जाएं, तब उस फल को तोड़ना. उस फल को काटने पर उसके भीतर पानी निकलेगा. वह पानी अपनी बेटी की पिलाओ. वह ठीक हो जाएगी.” एनालो की नींद टूट गई.
वह मुंह-अंधेरी ही उठ बैठा और दौड़ता हुआ अपने पुराने गांव में पहुंचा. घर में खम्भे पर लटके असोंगी के सिर को उसने उसके बताए अनुसार ज़मीन में दबा दिया.
कुछ समय बाद उस सिर से एक पेड़ पैदा हुआ. उस पर फल लगे. एनालो ने फलों को बीच से काटा और पानी निकालकर बेटी को पिलाया. कुछ ही दिनों में लड़की बिल्कुल चंगी हो गई. एनालो उसे स्वस्थ देखकर बहुत खुश हुआ. उसे दुःख हुआ कि उसने असोंगी जैसे भला चाहने वाले मित्र के साथ घात किया.
निकोबार के लोग आज भी नारियल को असोंगी के सिर से पैदा हुआ फल मानते हैं.
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट