उर्दू शायरी प्रेम की विसंगतियों को एक कसक के साथ जताने के लिए जाती है. इसी परंपरा का पालन कर रही हैं जॉन एलिया की शायरी ‘अपने सब यार काम कर रहे हैं’.
अपने सब यार काम कर रहे हैं
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं
तेग़ बारी (तलवार बनाने) का शौक़ अपनी जगह
आप तो क़त्ले-आम कर रहे हैं
दादो-तहसीन (तारीफ़) का ये शोर है क्यूं
हम तो ख़ुद से कलाम (बातचीत) कर रहे हैं
हम हैं मसरूफ़े-इन्तज़ाम मगर
जाने क्या इन्तज़ाम कर रहे हैं
है वो बेचारगी का हाल कि हम
हर किसी को सलाम कर रहे हैं
इक़ क़ताला (क़ातिल प्रेमिका) चाहिए हम को
हम ये ऐलाने-आम कर रहे हैं
क्या भला साग़रे-सिफ़ाल (शराब का प्याला) कि हम
नाफ़ (नाभि) प्याले को जाम कर रहे हैं
हम तो आए थे अर्ज़े-मतलब (प्रार्थना) को
और वो अहतिराम कर रहे हैं
न उठे आह का धुआं भी कि वो
कू-ए-दिल (दिल की गली) में ख़िराम कर रहे हैं
उस के होंठों पे रख के होंठ अपने
बात ही हम तमाम कर रहे हैं
हम अजब हैं कि उस के कूचे में
बेसबब धूमधाम कर रहे हैं
पुस्तक: मैं जो हूं, ‘जॉन एलिया’ हूं
संकलन: शीन काफ़ निज़ाम
संपादन: डॉ कुमार विश्वास
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
Illustration: Pinterest