यदि आपको डायबिटीज़ है तो डॉक्टर दीपक आचार्य की दी हुई यह जानकारी आपके काम की साबित होगी. बिना दवा के यदि हर्बल तरीक़े से यदि डायबिटीज़ को नियंत्रित किया जा सके तो कितना अच्छा हो. पनीर के फूल आपके लिए यही काम करेंगे. इन्हें कैसे और कब इस्तेमाल किया जाए और क्या सावधानी रखी जाए, यह जानने के लिए यह आलेख पढ़ें.
पनीर के फूल के बारे में आपको पता है या नहीं? चलिए आज इसी की बात बताता हूं. तक़रीबन 8-10 साल पहले तक एक पौधे को बतौर वैज्ञानिक पहचानता तो था, लेकिन उसके गुणों को लेकर मेरे पास कोई पुख़्ता पारंपरिक जानकारी नहीं थी. भोपाल के पास रायसेन के एक गांव में एक हर्बल जानकार से मुलाक़ात हुई तो डायबिटीज़ के मैनेजमेंट को लेकर वे बार बार ‘पनीर के फूलों’ का ज़िक्र कर रहे थे. मेरे अनुरोध किए जाने के बाद उन्होंने मुझे पनीर के फूलों के दर्शन करवाए. मैनें इन्हें देखते ही पहचान लिया. अश्वगंधा के परिवार के एक अन्य सदस्य के रूप में इसे ‘विदानिया कोग्युलेंस’ का नाम दिया गया है. अंग्रेजी भाषा में इसे ‘इंडियन रेनेट’ कहते हैं. पनीर के फूल को ‘पनीर डोडा’ के नाम भी जाना जाता है और चरक संहिता में इसे ‘ऋष्यगंधा’ का नाम दिया गया है. यद्यपि इन्हें पनीर के फूल कहा जाता है, लेकिन ये ना तो पनीर से कहीं संबंध रखते हैं ना ये कोई फूल हैं. ये फल होते हैं जिनके भीतर छोटे-छोटे बीजों की भरमार होती हैं. ये टमाटर और बैंगन की फेमिली (सोलेनेसी) का पौधा है और रिश्तेदारी में अश्वगंधा का चचेरा भाई है.
कैसे करें इस्तेमाल
अब बात करें, रायसेन के मेरे अनुभव के बारे में. तो उन बुजुर्ग हर्बल जानकार ने बताया कि रोज रात 6-7 पनीर के फूल को एक गिलास पानी में डुबोकर रखा जाए और सुबह इस पानी को छानकर पिया जाए, यही प्रक्रिया रोज दोहराई जाए. पहले दिन लिए 6-7 फूलों को 3 दिनों तक इस्तेमाल किया जा सकता है. 3 दिनों के बाद नए पनीर के फूल लिए जाएं और यही सिलसिला चलता रहे. ऐसा लगातार करते रहने से शरीर में शर्करा नियंत्रण (डायबिटीज़) में काफ़ी मदद मिलती है. कई रिसर्च स्टडीज़ भी मैंने पढ़ी हैं,जिनमें इसके इन गुणों की पुरज़ोर वक़ालत करी गई है.
दूसरा तरीक़ा और सावधानी भी
एक सर्वे स्टडी के लिए शहडोल जाना हुआ था, करीब छह बरस पहले. वहां एक वर्कशॉप के दौरान कुछ हर्बल जानकारों से भेंट हुई. एक जानकार ने मुझे इसके फलों के पाउडर से डायबिटीज़ नियंत्रित करने का दावा किया था. पनीर के फूल का पाउडर तैयार कर आधी चम्मच मात्रा को एक गिलास पानी में डालकर रातभर के लिए रखा जाए और सुबह इसे कन्ज़्यूम कर लिया जाए. यही तरीक़ा हर रात को दोहराया जाए और सुबह पानी पी लिया जाए तो इसका असर शर्तिया दिखता है, ये कहना था उन बुजुर्ग जानकार का. नागपुर में रहने वाले मेरे एक मित्र ने भी अपना सकारात्मक फ़ीडबैक दिया था, जो उत्साहित करता है. उन्होंने पनीर के फूलों को रातभर एक गिलास पानी में डुबोकर रखा और सुबह छानकर पानी पी लिया तो उनका ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से नीचे उतरने लगा था. इसलिए इस तरह के तामझामों को आज़माने से पहले तय करें कि ब्लड शुगर मॉनिटरिंग मशीन घर में हो और समय-समय पर जांच-परख होती रहे.
लेकिन यही काफ़ी नहीं है!
बेशक़, ये पनीर के फूल असरदार होंगे, लेकिन इसके अलावा डायबिटीज़ कंट्रोल करने के लिए आपका संतुलित खानपान, थोड़ी वर्जिश और आपका बॉयोलोजिकल क्लॉक का सही रखा जाना बेहद आवश्यक है. अकेले कोई जड़ी-बूटी या दवाई आपका डायबिटीज़ कंट्रोल नहीं करेगी. भटकते हुए जानकारियां मिल जाती हैं तो साझा कर लेता हूं. मां कहती हैं, ‘ज्ञान बांटने से ज्ञान बढ़ता है’ तो ज्ञान प्राप्ति इस तरह ही होती है. जान लीजिए कि गूगल के पास मोक्ष नहीं है.
स्वस्थ रहिए, मस्त रहिए… अब पनीर के फूल कहां मिलेंगे, बीज कैसे मिलेंगे? ये कैसे होगा, वो कैसे होगा? ये सब पूछकर समय बर्बाद न कीजिएगा… भटको तो सब हासिल है. मेरी जानकारी साझा करने योग्य लगे तो साझा ज़रूर करें, क्या पता कोई भटकता हुए पनीर के फूल पा ही जाए.
फ़ोटो: गूगल