कवि प्रदीप का लिखा गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ हमें एक ही साथ भावुक करता है और प्रेरणा भी देता है. शहीदों के बलिदान को याद दिलाता है तो उनके बलिदान को व्यर्थ न जाने देने का वादा भी कराता है. स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज़ में यह गीत हर भारतवासी सुन चुका है. स्वतंत्रता दिवस की 75वीं सालगिरह पर आइए, इस गीत को एक बार दोबारा पढ़ लेते हैं.
ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम ख़ूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने हैं प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आए
ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब घायल हुआ हिमालय
ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी सांस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
जब देश में थी दीवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पर मरनेवाला
हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर
वो ख़ून था हिंदुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
थी ख़ून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गए होश गंवा के
जब अन्त-समय आया तो
कह गए के अब मरते हैं
ख़ुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
तुम भूल न जाओ उनको
इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो क़ुरबानी
Illustration: Pinterest