दुनिया में भूख से बड़ी कोई ज़रूरत नहीं है. भूख का इंतज़ाम करने के लिए एक बढ़ई लकड़ी चीर रहा है तो अपना दाना बचाने के लिए लड़ाई लड़ रही है एक चिड़िया.
वह लकड़ी चीर रहा था
कई रातों तक
जंगल की नमी में रहने के बाद उसने फ़ैसला किया था
और वह चीर रहा था
उसकी आरी कई बार लकड़ी की नींद
और जड़ों में भटक जाती थी
कई बार एक चिड़िया के खोंते से
टकरा जाती थी उसकी आरी
उसे लकड़ी में
गिलहरी के पूंछ की हरकत महसूस हो रही थी
एक गुर्राहट थी
एक बाघिन के बच्चे सो रहे थे लकड़ी के अंदर
एक चिड़िया का दाना ग़ायब हो गया था
उसकी आरी हर बार
चिड़िया के दाने को
लकड़ी के कटते हुए रेशों से खींच कर
बाहर लाती थी
और दाना हर बार उसके दांतों से छूट कर
ग़ायब हो जाता था
वह चीर रहा था
और दुनिया
दोनों तरफ़
चिरे हुए पटरों की तरह गिरती जा रही थी
दाना बाहर नहीं था
इसलिए लकड़ी के अंदर ज़रूर कहीं होगा
यह चिड़िया का ख़्याल था
वह चीर रहा था
और चिड़िया ख़ुद लकड़ी के अंदर
कहीं थी
और चीख रही थी
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