कई बार हम यह जानते हुए भी कि हार जाएंगे, लड़ने की हुंकार सिर्फ़ इसलिए भरते हैं ताकि ख़ुद को याद दिला सकें कि हम अभी ज़िंदा है. मणिपुर में मई महीने से जारी हिंसा पर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की मंशा भी कुछ ऐसी ही है. पिछले दो दिनों से सदन में ‘इंडिया’ ने यह दिखाया है कि पूर्ण बहुमत वाली मोदी सरकार का विरोध करनेवाला विपक्ष अभी ज़िंदा है. बहरहाल यहां हम बात करने जा रहे हैं अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दौरान राहुल गांधी के कथित फ़्लाइंग किस पर मचे बवाल पर.
संसद में बहस का आज तीसरा दिन है. आज पूरे देश को इंतज़ार है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी बात रखेंगे. शाम तक अलग-अलग अख़बारों और न्यूज़ चैनलों की हेडिंग होगी कि किस तरह प्रधानमंत्री ने पूरे विपक्ष को धो डाला. हेडिंग की बात करें तो राहुल गांधी ने संसद में क्या कहा उससे कहीं अधिक चर्चा रही कि उन्होंने जाते-जाते स्मृति ईरानी की ओर कथित फ़्लाइंग किस उछाल दिया. कथित इसलिए क्योंकि अभी तक उसका वीडियो उपलब्ध नहीं हो पाया है. कथित फ़्लाइंग किस को लेकर लोकसभा स्पीकर से शिकायत पत्र पर हस्ताक्षर करनेवाली भाजपा की महिला सांसदों में एक हेमा मालिनी ने संसद के बाहर मीडिया से बात करने हुए राहुल गांधी के कथित फ़्लाइंग किस की बात को नकार दिया था. हां, उन्होंने यह ज़रूर कहा कि राहुल गांधी की भाषा थोड़ी ठीक नहीं थी. कल से हेमा मालिनी का यह वीडियो ख़ूब वायरल हो रहा है.
राहुल गांधी के कथित फ़्लाइंग किस पर मध्यप्रदेश की एक वरिष्ठ आईएसएस अधिकारी शैलबाला मार्टिन ने भाजपा की महिला सांसदों के हस्ताक्षर वाली तस्वीर ट्वीटर पर पोस्ट करने हुए उनसे ही सवाल पूछा,‘ज़रा सोचिए मणिपुर की महिलाओं को कैसा महसूस हुआ होगा?’ कल की गहमागहमी के दौरान भले ही किसी के मन में यह सवाल नहीं आया, पर यह बेहद वाजिब सवाल है.
बेशक़, अगर राहुल गांधी ने संसद में कुछ ऐसा किया है, जिससे भारत की महान संसदीय परंपराओं का उल्लंघन होता है उन्हें उचित सज़ा मिलनी चाहिए. सरकार, वरिष्ठ मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा की महिला सांसदों से यह पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने कथित फ़्लाइंग किस के मुद्दे पर पूरे लोकसभा में हंगामा कर डाला. राहुल गांधी पर कार्रवाई की मांग कर डाली. उससे संबंधित पत्र भी लिख डाला. यही मुस्तैदी और महिलाओं की गरिमा को कमतर करने को लेकर हंगामा उन्होंने तब क्यों नहीं किया, जब मणिपुर में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल हुआ? मई की घटना पर जुलाई महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उसपर तत्परता दिखाते हुए इन महिला सांसदों और मंत्रियों ने भारत के गृहमंत्री, प्रधानमंत्री, मणिपुर के मुख्यमंत्री और देश की महिला विकास मंत्री को पत्र क्यों नहीं लिखे? चौतरफ़ा दबाव पड़ने के बाद मणिपुर की घटना पर कुछ बयान ज़रूर आए, पर वो भी देश के दूसरे राज्यों की घटनाओं को दूसरे पलड़े में रखकर हिसाब बराबर दिखाने की कोशिश की गई.
जैसे आजकल संसद में बहस के दौरान सांसदगण विरोधियों को बार-बार याद दिलाते हैं कि आपके व्यवहार को देश की जनता देख रही है, यही बात उन्हें ख़ुद भी याद दिलानी चाहिए. एक बेहद संवेदनशील मुद्दे पर बहस के दौरान जिस दर्जे की नौटंकी की जा रही है, मुद्दे से इतर बात भटकाई जा रही है. चीख चिल्लाकर सवाल पूछे जा रहे हैं और जवाब की शक्ल में प्रतिप्रश्न उछाले जा रहे हैं, देश की जनता देख ही नहीं, समझ भी रही है.
चलते-चलते कथित फ़्लाइंग किस से व्यथित महिला सांसदों से एक और सवाल, जब उनके ही पक्ष के एक सांसद पर महिला पहलवानों ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए तो उन्होंने इसपर व्यथा क्यों नहीं व्यक्त की? उनकी ही पार्टी के एक सांसद ने बहस के पहले दिन वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी पर बेवजह पर्सनल तंज किए, तब क्या उनका मन व्यथित नहीं हुआ?
देश के एक आम नागरिक के तौर पर बस इतना कहना है, इस अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जेनुइन सवाल-जवाब किए जाएं. ताकि देश की जनता का विश्वास सत्ता-पक्ष और विपक्ष दोनों की गंभीरता पर बना रहे.
Photo: Telegraph India