प्रकृति, विज्ञान और ईश्वर को एक धागे में पिरोती हुई रामधारी सिंह की यह सुंदर रचना छोटी होते हुए भी, अपने अंदर विशाल अर्थ समेटे हुए है.
पक्षी और बादल
ये भगवान के डाकिए हैं
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं
हम तो समझ नहीं पाते हैं
पर उनकी लाई चिट्ठियां
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बांचते हैं
हम तो केवल यह आंकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पांखों पर तिरता है
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है
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