हम में से कई लोगों का हाथ या पैर कभी न कभी टूटा होगा, क्योंकि वहां की हड्डी चोट से टूट जाती है. लेकिन पीनिस? उसका क्या? क्या वह भी कभी फ्रैक्चर हो सकता है? तो इस सवाल का जवाब है- हां! और इसी बात के बारे में हमें और जानकारी दे रहे हैं वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन.
इस आलेख की हेडिंग में हमने जो सवाल पूछा है कि क्या पीनिस (शिश्न या लिंग) फ्रैक्चर हो सकता है, उसका जवाब हैं-हां! लेकिन यह उस तरह नहीं होता, जैसा कि आप सोच रहे हैं या जिस तरह शरीर के अन्य हिस्से फ्रैक्चर होते हैं या टूटते हैं. वह इसलिए क्योंकि पीनिस में कोई हड्डी यानी बोन नहीं होती. जबकि मज़े की बात यह कि इरेक्शन को बोनर भी कहा जाता है! इस मामले में एक स्तनधारी के रूप में मनुष्य अपने प्राचीन भाई-बहनों का अपवाद हैं.
कहां खो गई वह बोन?
मानव स्तनधारियों के पीनिस की हड्डी के धीरे-धीरे खो जाने के पीछे एक ही साथी होने को (यानी मोनोगैमी को) इसका संभावित कारण माना जाता है. इस सिद्धांत के अनुसार, हज़ारों वर्षों पहले एक पार्टनर कई दूसरे कई पार्टनर्स के साथ संभोग (इंटरकोर्स) किया करता था, पर धीरे-धीरे एक पुरुष केवल एक ही साथी के साथ इंटरकोर्स करने लगा. ऐसे में एक इंटरकोर्स के मामले में पहले एक प्रतिस्पर्धी पुरुष होने की बजाय उसे धीरे-धीरे एक ही साथी का सेक्शुअल साथ पाने का सौभाग्य मिला, जिसे लंबे समय तक सेक्शुअल इंटरकोर्स की उनकी ज़रूरत ख़त्म हो गई, जो कई पार्टनर्स के होने पर हुआ करती थी. इस वजह से पीनिस में बदलाव आया.
प्रोसीडिंग्स ऑफ़ रॉयल सोसाइटी: अ नेचर्स वे ऑफ़ पिसिंग ऑफ़ पीपल इन क्यू में छपे एक शोध के अनुसार, ऐसे जानवर जिनमें पीनिस बोन पाई जाती है, यह किसी ऐंटी-मेट पोचिंग डिवाइस की तरह काम करती है. यह बोन स्ट्रक्चरल सपोर्ट देती है, ताकि इंटरकोर्स की अवधि लंबी हो सके. इस बोन की वजह से इंटरकोर्स की अवधि तीन मिनट से अधिक समय तक बढ़ जाती है.
कुछ दिलचस्प बातें
अब यह सोचना अपने आप में दिलचस्प होगा कि यदि पीनिस बोन आज भी मनुष्यों में होती तो क्या शीघ्र पतन यानी प्रीमैच्योर इजैकुलेशन इतनी बड़ी समस्या होती?
आपको बता दें कि पीनिस बोन अपने आप में बड़ी विविधता लिए हुए है. लंबाई के मामले में यह बहुत ही भिन्नता लिए हुए है- इसकी लंबाई एक छोटी उंगली से लेकर दो फ़ीट तक भी होती है! अलास्का में, एक समय वालरस की पीनिस बोन्स के साथ लोग युद्ध भी लड़ते थे… ओह! मेरा ध्यान बार-बार इसी बात पर अटक रहा है.
तो आइए अब फिर उस सवाल की ओर लौट चलें कि पीनाइल फ्रैक्चर होता कैसे है, जबकि वहां कोई हड्डी मौजूद ही नहीं है? दरअसल, इरेक्शन के दौरान फ्रैक्चर हो सकता है. हालांकि ऐसा कम होता है, लेकिन सभी संस्कृतियों के पुरुषों में कभी न कभी इस तरह पीनिस के फ्रैक्चर होने के केसेज़ होते रहे हैं. और पीनाइल फ्रैक्चर के कारण भी उतने ही विविध होते हैं, जितनी कि पीनिस बोन्स.
पीनाइल फ्रैक्चर के कारण
जापान में लोगों के पीनिस इसलिए फ्रैक्चर हुए, क्योंकि वे पीनिस की इरेक्टेड अवस्था में दुर्घटनावश वे लुढ़क गए. वहीं ग्लोब के भूमध्यसागरीय हिस्सों में कुछ पुरुषों के साथ अनचाहे इरेक्शन को दबाने के लिए बलपूर्वक की गई कोशिश की वजह से भी ऐसा हुआ.
अमेरिका में ऐसी दुर्घटनाओं का सबसे आम कारण रहा सेक्शुअल इंटरकोर्स के दौरान टार्गेट को मिस करना. पुरुषों ने जल्दबाज़ी में पेनेट्रेट करने की कोशिश की और वे कहीं और जा भिड़े: अपने साथी की प्यूबिक बोन या पेरिनयम से… तो इस मामले में भारतीयों का क्या हाल रहा?
दुख की बात है कि इस मामले में कोई रिसर्च उपलब्ध नहीं है. अत: मैंने डॉक्टर नारायण रेड्डी से बात की, जो दुनिया के जानेमाने सेक्सोलॉजिस्ट हैं, अमेरिकन कॉलेज ऑफ़ सेक्सोलॉजी के फ़ेलो और वीवॉक्स के एक्स्पर्ट हैं.
जानिए एक्स्पर्ट की बात
डॉक्टर रेड्डी का कहना है,‘‘ मेरे 40 साल के क्लिनिकल एक्स्पीरियंस के दौरान मेरे सामने पीनाइल फ्रैक्चर के केवल दो ही मामले आए हैं. कई डॉक्टर इसे पीनाइल फ्रैक्चर इसलिए कहते हैं, क्योंकि पीनिस में बोन न होने के बावजूद जब यह फ्रैक्चर होता है तो उसी तरह की आवाज़ आती है, जैसी कि कोई हड्डी टूटने पर आती है. इसकी वजह यह है कि पीनाइल फ्रैक्चर के दौरान पीनिस मसल्स की मोटी पर्त फट जाती है.
‘‘यदि इरेक्ट पीनिस पर ज़ोरदार आघात लगे तो पीनिस टूट सकता है. ‘वुमन ऑन टॉप‘ यह वह सेक्शुअल पोज़िशन है, जिसके दौरान पुरुषों का पीनिस फ्रैक्चर होने की संभावनाएं अधिक होती हैं. अत: इस पोज़िशन में बहुत सावधानी बरतें.
जो दो केसेज़ मेरे सामने आए, उनके पीछे वजह यही सेक्शुअल पोज़िशन थी. पर असल समस्या ये है कि यदि ऐसा कुछ हो भी जाता है तो बहुत से पुरुष मेडिकल हेल्प लेने के लिए सामने ही नहीं आते, क्योंकि उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है. लेकिन यह बात ख़तरनाक हो सकती है. ऐसे मामले में देर करने से डॉक्टर्स के लिए भी इस स्थिति को सुधारना बहुत मुश्क़िल हो जाता है. पीनाइल टिशूज़ को इतना ज़्यादा नुक़सान पहुंच जाता है कि हमेशा के लिए इरेक्टाइल डिस्फ़ंक्शन या फिर विकृती यानी डिस्फ़ॉर्मिटी हो सकती है.’’
फ़ोटो : फ्रीपिक