यूं तो आपने भी यह बात कभी न कभी सुनी ही होगी, लेकिन यदि आप खेल से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेते रहते/रहती हैं तो यह बात आपने ज़रूर सुनी होगी कि सेक्स या मैस्टर्बेशन से परहेज़ रखने से स्टैमिना बढ़ता है. पर क्या यह बात सही है या फिर केवल मिथक है? एक्स्पर्ट्स से बात करके हम आपको यही तो बता रहे हैं…
जीवन में कभी न कभी आपने सेक्स/मैस्टर्बेशन (हस्तमैथुन) से परहेज़ करने और स्टैमिना के बीच लिंक की बात तो सुनी ही होगी. यदि आपका करियर स्पोर्ट्स से जुड़ा है या फिर आपकी खेलों में रुचि है और आप खेलते रहे/रही हैं, तब तो आपने इस बारे में ज़रूर सुन रखा होगा.
कई बार तो कोच ख़ुद ही खिलाड़ियों को इस बारे में सलाह देते हैं कि किसी मैच या समारोह से पहले सेक्स या मैस्टर्बेशन से बचना कितना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे इस बात पर भरोसा करते हैं कि इससे खिलाड़ी के प्रदर्शन पर बुरा असर पड़ता है.
हर जगह मौजूद है यह लिंक
जिन लोगों ने अभिनेता सिल्वेस्टर स्टैलॉन की फ़िल्म रॉकी देखी होगी, वे इस बात को जानते होंगे कि कोच मिकी ने उसे क्या सलाह दी थी कि सेक्स से परहेज़ ज़रूरी है क्योंकि,‘‘महिलाएं पैरों को कमज़ोर कर देती है.’’
यह भी एक कारण है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड बीसीसीआई ने लंबे समय तक खिलाड़ियों के साथ उनकी पत्नियों या गर्लफ्रेंड्स को ट्रैवल करने की इजाज़त नहीं दी थी. इस नीति को कुछ वर्षों पहले ही बदला गया है, जब यह पता चला कि ऐसा करने का कोई वास्तविक फ़ायदा नहीं होता.
पुराने समय से मौजूद हैं ये मान्यताएं
वीर्य (सीमन) को रोके रहने और शारीरिक ऊर्जा के बीच की यह लिकं नई नहीं हैं. प्राचीन हिंदू मान्यताओं के अनुसार सीमन के व्यर्थ होने को शारीरिक और मानसिक ऊर्जा के व्यर्थ होने से जोड़कर देखा जाता था.
ब्रह्मचर्य की संकल्पना के अनुसार, एक बूंद वीर्य बनाने में 40 बूंद ख़ून का इस्तेमाल होता है. यह भी माना जाता था की सीमन पूरे शरीर में व्याप्त होता है. इसका सीधा मतलब था कि सीमन का व्यर्थ होना यानी शारीरिक और मानसिक कमज़ोरी होना.
केवल प्राचीन भारतीय ही ऐसे नहीं थे जो सीमन की ‘जादुई’ शक्ति में भरोसा करते हों. पहली शताब्दी के ग्रीक फ़िज़िशन आरिस्तेऑस ने दावा किया था सीमन को रोके रखकर किसी पुरुष की ताक़त को बढ़ाया जा सकता है.
लेकिन हम आज भी इन 2000 वर्ष पुरानी धारणाओं को क्यों पकड़े बैठे हैं? क्या इनमें कोई सच्चाई है? इस बारे में हमने डॉक्टर अजीत सक्सेना से पूछा, जो इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल, नई दिल्ली, के जानेमाने यूरो-ऐन्ड्रोलॉजिस्ट और साथ ही वीवॉक्स के
को-फ़ाउंडर भी हैं.
मिथकों की जड़ें गहरी होती हैं
इस बारे में डॉक्टर अजीत सक्सेना ने हमें बताया,‘‘स्पर्म और पुरुष हॉर्मोन टेस्टोस्टेरॉन के बीच जो लिंक है, वह किसी भी पुरुष के स्वस्थ रहने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है, यह बात सभी जानते हैं. लोगों को लगता है कि सेक्स या मास्टर्बेशन से परहेज़ करने से उनके टेस्टोस्टेरॉन का स्तर ऊंचा बना रहेगा, लेकिन यह कोरा मिथक है.’’
वे आगे कहते हैं,‘‘ऑर्गैज़्म के तुरंत बाद टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में आनेवाली कमी अस्थाई होती है और यह किसी की शारीरिक फ़िटनेस, ऊर्जा या स्टैमिना को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं करती है. अधिकतर लोगों की मान्यता के विपरीत, मैस्टर्बेशन करने से एकाग्रता और प्रदर्शन दोनों में ही बढ़ोतरी होती है, क्योंकि बहुत सारी मानसिक ऊर्जा, जो ऐसा न होने पर सेक्शुअल सोच की वजह से व्यर्थ होती रहती, तब बच जाती है, जबकि कोई पुरुष मैस्टर्बेट करता है. जब सीमन एजेकुलेट होता है तो बहुत सारे ख़ुशी देनेवाले हॉर्मोन्स भी निकलते हैं. जिसकी वजह से पुरुष शारीरिक व मानसिक दोनों ही तौर पर सेहतमंद और तृप्त महसूस करते हैं, जिससे उनका प्रदर्शन और एकाग्रता दोनों ही बेहतर होते हैं.
‘‘मिथक यूं भी अपनी उम्र से कहीं ज़्यादा समय तक ज़िंदा रहते हैं. और यह आधुनिक मेडिकल रिसर्च, जो सेक्स और मैस्टर्बेशन और प्रदर्शन के बीच सही लिंक बनाती है, वह तो लगभग 50 वर्ष पुरानी है इसीलिए लोगों के लिए अब तक नई है और इस तक सभी की पहुंच बनने में थोड़ा और समय लग सकता है.’’
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट