पलट कर देखती हूं तो सत्तर के दशक में फ़िल्मों की दो तरह की धाराएं साथ-साथ तेजी से उभर कर...
कुछ फ़िल्में, घटनाएं दिलो-दिमाग़ में बस एकदम से छप जाती हैं. आज इसलिए भी मैं उस दिन को याद कर...
मुझे फ़िल्मों में हैप्पी हैंडिंग की ख़्वाहिश रहती है. दो-ढाई घंटे बाद जब थियेटर से बाहर निकलूं तो मुंह में...
हर जो फ़िल्म दिल पर छा जाए, वो क्लासिक ही हो, सुपरहिट ही हो यह ज़रूरी नहीं. यह वक़्त और...
दैनिक हिंदुस्तान की एग्ज़ेक्यूटिव एडिटर जयंती रंगनाथन, फ़ेसबुक जैसे बड़ी पहुंच वाले सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म का रचनात्मक इस्तेमाल करने के...
लॉकडाउन के चलते लंबे समय तक रिलीज़ की राह देख रही अभिनेता अक्षय कुमार की फ़िल्म लक्ष्मी अंतत: डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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