क्लारा हेल, जिन्हें मदर हेल के नाम से भी जाना जाता है, अमेरिकी मानवतावादी थीं. उनका निजी जीवन बचपन से संघर्षों से भरा रहा, बावजूद इसके उन्होंने हेल हाउस सेंटर की स्थापना की, जो वंचित और ड्रग ऐडिक्ट्स के बच्चों के लिए उनका अपना घर था. क्लारा की शख़्सियत से हमें रूबरू करवा रहे हैं जानेमाने लेखक अशोक पांडे.
क्लारा हेल ने चलना भी शुरू नहीं किया था जब उसके पिता की हत्या हो गई. लोगों के घरों में काम करने वाली उसकी मेहनतकश मां की जब मृत्यु हुई, क्लारा कुल सोलह की ही हुई थी. इस दौरान उसने हाई स्कूल तक की पढ़ाई कर ली थी, लेकिन मां की असमय मृत्यु के चलते उसे घरेलू नौकरानी का काम करना पड़ा.
कुछ सालों बाद उसकी मुलाक़ात थॉमस से हुई, जो फ़र्श पॉलिश करने के धंधे में था. दोनों ने शादी कर ली और न्यूयॉर्क के हार्लेम में आ बसे. थॉमस की कमाई से घर नहीं चल पाता था, सो क्लारा ने एक थिएटर में सफ़ाईकर्मी की नौकरी कर ली. वर्ष 1932 में कैंसर से थॉमस की मृत्यु हो गई. तब क्लारा कुल 27 वर्ष की थी और उसके तीन बच्चे हो चुके थे. उन्हें पालने को पैसे चाहिए थे. थिएटर की नौकरी से काम नहीं चल पा रहा था. उसने दिन में घरों में और रात में थिएटर में काम करना शुरू किया. इससे पैसा तो आने लगा, पर घर पर छोटे बच्चे अकेले छूट जाते थे. इससे क्लारा को मानसिक त्रास होता था.
तब उसके मन में ख़याल आया कि वह अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए सरकारी लाइसेंस हासिल कर ले तो उसे पैसा भी मिलेगा और वह अपने बच्चों के साथ भी रह सकेगी.
उसका ख़याल हक़ीक़त में बदला और वर्ष 1940 में अमेरिकी सरकार ने उसे ऐसा करने की अनुमति दे दी. हर अनाथ बच्चे की परवरिश के लिए उसे हर हफ़्ते दो डॉलर मिलते थे. अगले 29 वर्षों के दौरान क्लारा ने चालीस अनाथ बच्चों को मां-बाप की तरह पाला. वह चौंसठ साल की हो हो चुकी थी और अब उसके रिटायरमेंट का समय आ गया था. उसके अपने बच्चे भी रोटी कमाने लायक बड़े हो गए थे. यह 1969 का साल था.
उसे पता ही नहीं चला, ग़रीबी से लड़ते-जूझते कब उसका जीवन अपने अंत की तरफ़ आ गया था. हाशिये पर रहने वालों का जीवन ऐसा ही होता है!
उसी बरस क्लारा की डॉक्टर बेटी लॉरेन को पार्क में एक ड्रग-ऐडिक्ट महिला मिली जिसकी गोद में दो माह का बच्चा था. उनकी बेहद ख़राब हालत देखकर लॉरेन ने उन्हें अपनी मां का पता दे दिया. क्लारा ने दोनों को अपने अपार्टमेन्ट में पनाह दे दी.
छह माह के भीतर क्लारा के पांच कमरों वाले अपार्टमेन्ट में कुल बाईस ऐसे बच्चे रह रहे थे, जिनके मां-बाप ड्रग-ऐडिक्शन के शिकार थे. डेढ़ साल तक क्लारा के बच्चों ने मां की भरसक आर्थिक मदद की.
लेकिन अफ़सरों को क्लारा का काम पसंद नहीं आया. उन्होंने उसके अपार्टमेन्ट में ताला लगाने का आदेश दे दिया, लेकिन तब तक क्लारा के काम को अमेरिका भर के लोग जानने लगे थे. उसके पास रहकर बच्चों को ऐसी परवरिश मिल रही थी, जैसे ख़ुद उनके माता-पिता भी न दे पाते. लोगों ने क्लारा को आर्थिक सहायता भेजना शुरू किया. बीटल्स के जॉन लेनन दस हज़ार डॉलर लेकर ख़ुद उसके पास पहुंचे.
क्लारा ने उन सारे बच्चों को अपने पास रखा जिन्हें कोई नहीं चाहता था. वर्ष 1992 की 18 दिसंबर को जब सत्तासी साल की आयु में क्लारा हेल ने आख़िरी सांस ली, वह दुनिया के अलग-अलग जाति-रंग-धर्मों को माननेवालों द्वारा पैदा किए गए एक हज़ार से अधिक बच्चों की मां की भूमिका निभा चुकी थी.
बुढ़ापे तक अपनी कृश बांहों में किसी बच्चे को थामे उसे हलकोरती, पुचकारती क्लारा हेल की छवि पिछली शताब्दी के अमेरिका की प्रतिनिधि छवियों में गिनी गई. उसे मदर हेल ऑफ़ हार्लेम के नाम से आज भी याद किया जाता है. गोरों की सत्ता वाले देश में वह एक ग़रीब काली औरत थी. उसके पास न पैसा थ, न ताकत. उसके पास दुनिया के बच्चों के लिए मोहब्बत थी. और उस मोहब्बत की कोई सरहद न थी.
फ़ोटो साभार: गूगल