कई लोग बारिश के मौसम में बहुत आनंदित होते हैं, वे बारिश में भीगना चाहते हैं, छप-छप करते हुए चलना चाहते हैं, लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो बारिश में बेहद उदास और सुस्त महसूस करते हैं, मॉनसून उन्हें अवसाद से भर देता है. यदि आप दूसरी कैटेगरी के लोगों में से हैं तो बहुत संभव है कि आपको भी सीज़नल अफ़ेक्टिव डिस्ऑर्डर यानी एसएडी हो. जिस तरह साइकोलॉजिस्ट्स ने ठंड के मौसम में नीरस और उदास महसूस करने को विन्टर ब्लूज़ से परिभाषित किया है, ठीक उसी तरह मानसून में डिप्रेस महसूस करने को मॉनसून ब्लूज़ से परिभाषित किया गया है.
यदि आप सीज़नल अफ़ेक्टिव डिस्ऑर्डर (एसएडी) सिंड्रोम से अनजान हैं तो हम आपको बता दें कि यह एक ख़ास तरह का डिप्रेशन है, जो किसी ख़ास मौसम में महसूस होता है. पहले ही ठंड के दिनों में होनेवाले डिप्रेशन की शिनाख़्त की जा चुकी है और अब पाया गया है कि मॉनसून में भी इस तरह का डिप्रेशन हो सकता है. इसकी वजह से आपका मन उदास हो सकता है और यूं लग सकता है, जैसे आपकी सारी ऊर्जा ख़त्म हो चुकी है. यह किसी एक मौसम में होता है और ठीक हो जाता है, लेकिन हर वर्ष उसी मौसम में दोबारा होता है.
जनरल ऑफ़ अफ़ेक्टिव डिस्ऑर्डर्स में छपे अमेरिका की ब्रिघम यंग यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुताबिक़, बारिश के दिनों में जब सूरज की किरणें दिखाई नहीं देतीं, कुछ लोगों को अपनी मन:स्थिति से जुड़े डिस्ऑर्डर्स हो सकते हैं. तो यदि आपको बारिश के मौसम में लगातार ख़राब, चिड़चिड़ापन, ग्लानि या किसी भी चीज़ में रुचि का कम होना जैसी बातें महसूस हो रही हैं या फिर थकान, बहुत कम नींद आना, बहुत ज़्यादा नींद आना, सुबह उठने में कठिनाई या लोगों से बातचीत करने की इच्छा न होना आदि का एहसास हो रहा है तो बहुत संभव है कि आप भी एसएडी से ग्रस्त हों. इसके लिए शोधकर्ताओं ने नई शब्दावली- मानसून ब्लूज़, भी ढूंढ़ ली है.
एसएडी सिंड्रोम के लक्षण
यह सिंड्रोम हर साल के एक ही समय पर होता है. इसके लक्षण डिप्रेशन के लक्षणों की तरह ही होते हैं. थकान, कार्बोहाइड्रेट्स खाने की बहुत इच्छा होना, वज़न बढ़ना, चिड़चिड़ा होना, हाथ व पैरों का भारी महसूस होना. इसके अलावा नींद से जुड़ी परेशानियां और लोगों से मिलने-जुलने का मन न होना भी इसके लक्षण हैं. यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग प्रभाव के साथ हो सकता है. हम अक्सर मौसम और मनोस्थिति के रिश्तों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन यह सही नहीं है, क्योंकि कई बार यह प्रभाव लोगों की मन:स्थिति पर बहुत गहरा प्रभाव डालते हैं.
क्या होता है मॉनसून ब्लूज़ में
जैसे ही बारिश का मौसम आता है और धूप में कमी होती है, मॉनसून ब्लूज़ से प्रभावित होने वाले लोगों को डिप्रेशन महसूस होने लगता है. धूप में कमी के कारण शरीर में विटामिन D का स्तर कम होने लगता है. इसकी वजह से हमारे शरीर में सेरोटोनिन का स्तर घटने लगता है, सेरोटोनिन वह हॉर्मोन है, जो हमारे शरीर में स्रवित होकर हमारी मनोस्थिति को प्राकृतिक रूप से सही बनाए रखता है. यही नहीं, यह हॉर्मोन हमारे खाने-पीने, सोने और पाचन की क्रिया पर भी प्रभाव डालता है. मॉनसून के दौरान धूप की कमी होने से पिनीयल ग्लैंड, मेलाटोनिनन नामक हॉर्मोन स्रवित करने लगती है, जिससे ज़्यादा नींद आने लगती है. और इसकी वजह से हमारे शरीर की सर्कैडीअन रिदम (शरीर की प्राकृतिक,आंतरिक घड़ी) पटरी से उतर जाती है, जो अन्य कई चीज़ों के साथ हमारे सोने-उठने के समय चक्र को भी नियंत्रित करती है.
कैसे पता करें कि आपको एसएडी है
यूं तो इसके लिए क्लीनिकल टेस्ट उपलब्ध हैं. लेकिन यदि किसी ख़ास मौसम में आपको डिप्रेशन के लक्षण लगातार एक सप्ताह से अधिक समय तक बने रहते हैं और ऐसा कम से कम पिछले दो वर्षों से हर वर्ष हो रहा है तो बहुत संभव है कि आपको सीज़नल अफ़ेक्टिव डिस्ऑर्डर हो. यदि आपको ऐसा हो रहा है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. वे आपके मेडिकल चेकअप कराने के बाद और आपसे कुछ सवाल-जवाब करने के बाद आपको इस बात की सलाह देंगे कि आपको इसका इलाज किस तरह कराना चाहिए.
कैसे किया जाता है इसका इलाज
एसएडी सिंड्रोम के इलाज के तीन तरीक़े हैं. सबसे पहला है लाइट थेरैपी, जहां मरीज़ को कुछ दिनों तक निश्चित अवधि के लिए सफ़ेद रौशनी से नहलाया जाता है. इसके नतीजे सप्ताहभर या कुछ लोगों को इससे अधिक समय में नज़र आने लगते हैं. लेकिन इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट्स भी हैं, जो अस्थाई होते हैं. इनके बारे में आप अपने डॉक्टर से पूछताछ कर लें.
दूसरा तरीक़ा है दवाइयों के ज़रिए इसे नियंत्रित करना. इसके लिए भी आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी होगी. और तीसरा तरीक़ा है साइकोथेरैपी, जिसके तहत आपके साइकोलॉजिस्ट आपसे इस समस्या के संदर्भ में बातचीत कर के आपके नकारात्मक विचारों को दूर करने के तरीक़े बताएंगे.
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