• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

हमें आयुर्वेद या एलोपैथी का अंधभक्त बनने के बजाय थोड़ा स्वार्थी बनना चाहिए!

डॉ अबरार मुल्तानी by डॉ अबरार मुल्तानी
May 30, 2021
in ज़रूर पढ़ें, नज़रिया, सुर्ख़ियों में
A A
हमें आयुर्वेद या एलोपैथी का अंधभक्त बनने के बजाय थोड़ा स्वार्थी बनना चाहिए!
Share on FacebookShare on Twitter

कोरोना काल की सबसे बड़ी लड़ाई बेशक, इस बीमारी को हराने की होनी चाहिए, पर जैसा कि होता आया है हम मुख्य मुद्दे से भटक कर यहां उलझ जाते हैं, इस बार भी ऐसा ही हुआ है. आज सोशल मीडिया और टीवी स्टूडियोज़ की सबसे बड़ी लड़ाई यह हो गई है कि कोरोना समेत दूसरी बीमारियों को हराने में कौन ज़्यादा प्रभावी साबित हो सकता है-एलोपैथी या आयुर्वेद? जाने-माने आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी बता रहे हैं, क्यों हमें इस बहस में न पड़ते हुए वह पैथी अपनाना चाहिए जो वक़्ती तौर पर हमारे लिए बेहतर हो.

इसमें क्या संशय है कि मानवता अगर आज एलोपैथी का युग देखने के लिए जीवित है तो वह जड़ी-बूटियों की वजह से ही है. किसने बचाए रखा मनुष्यों को इतने हज़ारों हजार साल तक? यह कहना तो सरासर कृतघ्नता ही होगी कि जड़ी-बूटियों से कुछ नहीं होता, यह सब बेकार है. यह कृतघ्नता दुर्भाग्यपूर्ण है. आप यह कहें कि लकड़ी के पहिए का आविष्कार करने वाले हमारे पूर्वज तो निरे मूर्ख थे जी उन्होंने सीधा एरोप्लेन क्यों नहीं बना लिया? महामारी के इस नाज़ुक मोड़ पर एलोपैथी बनाम आयुर्वेद करने का क्या तुक है सिवाय अपना-अपना माल ठिकाने लगाने के?
वे मूर्ख हैं जो उस मेकैनिक को बेकार कहे जो ब्रेक आदि अच्छे से रिपेयर करके एक बस का एक्सिडेंट होने से बचाता है और वह भी मूर्ख हैं जो उन रेसक्यू करने वालों को कुछ न समझे जो एक्सिडेंट होने पर उस बस को खाई में से निकाले, चोटिल लोगों की जान बचाए. आयुर्वेद, यूनानी या होमिओपैथी वाले मेकैनिक हैं और ऐलोपैथी वाले रेसक्यू टीम के मेम्बर. मैं जानता हूं कि इन मेकैनिक्स को कोई हीरो नहीं मानता… लेकिन रेस्क्यू मेंबर्स को लोग हीरो मानते हैं और मैं भी कभी उन्हें कमतर नहीं आंकूंगा. दोनों की ज़रूरत है और यह तो लोगों को चाहिए कि वे इन दोनों से ही समय-समय पर लाभ उठाते रहें.
मेरी सलाह यह है कि आप अपनी बॉडी रूपी मोटरकार या बस के लिए एक अच्छा मेकैनिक तलाशिए और उससे सर्विसिंग करवाते रहें साथ ही इमरजेंसी के लिए एक रेसक्यू ऑफ़िसर से भी बनाकर रखिए…

आप अंधभक्त नहीं, अवसरवादी बनिए
‘अवसरवादी’ यह शब्द सुनने में ही कितना नेगेटिव लगता है. आप कहेंगे डॉ मुल्तानी हमें अवसरवादी बनने की सलाह दे रहे हैं? तो दोस्तों मेरा मानना है कि सबसे समझदार रोगी वह है जिसे यह ज्ञान हो कि, कब उसे आयुर्वेद की मदद लेना चाहिए और कब उसे एलोपैथी की या अन्य किसी पैथी की. हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य को प्रथम पायदान पर रखना चाहिए और उससे संबंधित ज्ञान को अर्जित करने के प्रयासों को भी. क्योंकि स्वास्थ्य के बिना आख़िर हमारा अस्तित्व है कहां? मेरी राय आम लोगों को यह है कि, आप किसी भी पैथी के ना तो अंधसमर्थक बनिए और ना ही अंधविरोधी. किसी भी चिकित्सा पद्धति से आपकी या आपके अपनों की ज़िंदगी बच सकती है बस ज़रूरत है तो आपके सही समय पर सही फ़ैसले लेने की. बात ज़िंदगी की है इसलिए इलाज चुनने में हुई ग़लती सबसे घातक गलती होती है. ग़लती सुधारने का कई बार दूसरा मौक़ा नहीं मिलता. दवाओं की मंडी लगी है और सब अपना माल बेचना चाहते हैं अब यह ख़रीदार पर ही निर्भर है कि वह क्या ख़रीदता है. अपने विवेक का इस्तेमाल कीजिए और अपने लिए अच्छे चिकित्सक और अच्छी दवाइयां चुनिए.
प्रिय मित्रों, मेरी सलाह है कि आप थोड़े स्वार्थी बनिए, अवसरवादी बनिए और सब पैथियों से लाभ उठाइए. ये नहीं कि आप कहें कि, मैं तो पाइल्स या पथरी का ऑपरेशन ही करवाऊंगा लेकिन इन आयुर्वेद वालों की क्लीनिक पर कभी नहीं जाऊंगा या ये कहें कि मुझे अटैक आए या ब्रेन हैमरेज हो तो एलोपैथी के अस्पतालों में तो जाऊंगा ही नहीं. तो याद रखें दोस्तों जिसे चिकित्सा चुनना नहीं आता उसका सब ज्ञान और डिग्रियां बेकार है.

इन्हें भीपढ़ें

बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं: उमैर नजमी की ग़ज़ल

बिछड़ गए तो ये दिल उम्र भर लगेगा नहीं: उमैर नजमी की ग़ज़ल

September 22, 2023
जो मिले, मुरीद हो जाए ऐसी शख़्सियत थे डॉक्टर दीपक आचार्य

जो मिले, मुरीद हो जाए ऐसी शख़्सियत थे डॉक्टर दीपक आचार्य

September 19, 2023
अकाल: हूबनाथ पांडे की कविता

अकाल: हूबनाथ पांडे की कविता

September 18, 2023
Telengana-peoples-movement

महिला किसान (चौथी कड़ी): महिला किसानों ने जब हैदराबाद के निज़ाम की व्यवस्था की चूलें हिला दी थीं

September 11, 2023

आपका एक छोटा-सा स्वास्थ्य सलाहकार
डॉ अबरार मुल्तानी
लेखक-बीमारियां हारेंगी

Tags: Ayurveda vs AllopathyDr Abrar Multani’s ArticlesDr. Abrar MultaniHealthNazariyaOye AflatoonPerspectiveYour viewआपकी रायआयुर्वेद बनाम एलोपैथीओए अफलातूनडॉ अबरार मुल्तानीडॉ अबरार मुल्तानी के लेखनज़रियानया नज़रिया
डॉ अबरार मुल्तानी

डॉ अबरार मुल्तानी

डॉ. अबरार मुल्तानी एक प्रख्यात चिकित्सक और लेखक हैं. उन्हें हज़ारों जटिल एवं जीर्ण रोगियों के उपचार का अनुभव प्राप्त है. आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार करने में वे विश्व में एक अग्रणी नाम हैं. वे हिजामा थैरेपी को प्रचलित करने में भी अग्रज हैं. वे ‘इंक्रेडिबल आयुर्वेदा’ के संस्थापक तथा ‘स्माइलिंग हार्ट्स’ नामक संस्था के प्रेसिडेंट हैं. वे देश के पहले आनंद मंत्रालय की गवर्निंग कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. मन के लिए अमृत की बूंदें, बीमारियां हारेंगी, 5 पिल्स डिप्रेशन एवं स्ट्रेस से मुक्ति के लिए और क्यों अलग है स्त्री पुरुष का प्रेम? उनकी बेस्टसेलर पुस्तकें हैं. आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए लिखी उनकी पुस्तकें प्रैक्टिकल प्रिस्क्राइबर और अल हिजामा भी अपनी श्रेणी की बेस्ट सेलर हैं. वे फ्रीलांसर कॉलमिस्ट भी हैं. उन्होंने पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेदिक महाविद्यालय से आयुर्वेद में ग्रैजुएशन किया है. वे भोपाल में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस करते हैं. Contact: 9907001192/ 7869116098

Related Posts

Tebhaga-farmer-movement
ज़रूर पढ़ें

महिला किसान (तीसरी कड़ी): तेभागा किसान आंदोलन, जिसमें महिलाओं ने जान फूंक दी थी

September 9, 2023
ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता
कविताएं

ये कैसा दौर है: शिल्पा शर्मा की कविता

September 8, 2023
Safed-sadak
क्लासिक कहानियां

सफ़ेद सड़क: कहानी दो मुल्कों, दो नज़रियों की (लेखक: कमलेश्वर)

September 7, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist