सेक्स ऐसा विषय है, जिसके बारे में बात न करके आप दकियानूस कहलाते हैं, पर क्या इस बारे में खुलकर बात करनेवाले सेक्स, सेक्स एजुकेशन या सेक्शुअल संबंधों से जुड़ी जागरूकता को सही ढंग से आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं? वीवॉक्स के संस्थापक संगीत सेबैस्टियन को लगता है कि सेक्स संबंधी जागरूकता फैलाने का दावा करनेवाले लोग इस विषय को हल्का बनाने के नाम पर इसे उन लोगों से भी ज़्यादा नुक़सान पहुंचा रहे हैं, जिन्हें दकियानूस कहा जाता है. संगीत बता रहे हैं कि तरह खुलेपन की पैराकारी का दावा करनेवाली फ़िल्मों और वेब सिरीज़ में प्रसिद्ध कुलीज़ इफ़ेक्ट की आधी-अधूरी सच्चाई बताई जा रही है.
मनु जोसफ़ का लोकप्रिय नेटफ़्लिक्स शो ‘डीकपल्ड’ एक सनकी उपन्यासकार और उसकी शादीशुदा ज़िंदगी की कहानी है. शो के अंतिम एपिसोड में पल्प फ़िक्शन राइटर आर्य (आर माधवन) कहता है कि कैसे एक पुरुष अपने वैवाहिक जीवन में कभी भी ख़ुश नहीं रह सकता. वह उसका बुनियादी कारण यह बताता है कि पुरुष हमेशा सेक्स चाहते हैं, जबकि वैवाहिक संबंध के चलते इसमें बाधा आती है. वह यह बात अपनी पत्नी श्रुति (सुरवीन चावला) से तलाक़ से पहले कहता है, जब वह श्रुति के साथ अपनी डिवॉर्स पार्टी सेलिबेट करने जा रहा होता है. वह यह समझ चुका है उनकी शादी और साथ रहने के दिन पूरे हो चुके हैं.
मुझे इस पूरे घटनाक्रम में जिस बात ने सबसे अधिक हैरान किया, वह यह कि आर्य को लगता है कि कूलीज़ इफ़ेक्ट (एक ही पार्टनर के साथ सेक्स करने के चलते सेक्स के प्रति पैदा हुई अनिच्छा. वहीं नए सेक्शुअल पार्टनर के आते ही सेक्शुअल डिज़ायर में उल्लेखनीय वृद्धि होना) केवल पुरुषों पर लागू होता है. जबकि डीकपल्ड के पहले ही एपिसोड से यह बात स्पष्ट थी कि उसकी पत्नी श्रुति इस रिश्ते से बाहर निकलता चाहती है. युवा पुरुषों को डेट करना चाहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि उसे लगता है कि उसके पति की सेक्स में पहले जैसी दिलचस्पी और जोश बरक़रार नहीं है. तो इससे यह स्पष्ट है कि केवल पुरुष ही नहीं, महिला भी शादीशुदा जीवन में सेक्स के चलते असंतुष्ट हो सकती हैं. जबकि डीकपल्ड में घुमाफिराकर यही साबित करने की कोशिश की गई है कि पुरुष ही एक पार्टनर के साथ सेक्स करके बोर हो जाते हैं.
मनोविज्ञान के पैमाने पर परखने के बाद यह देखा गया है कि महिला और पुरुष की सेक्शुऐलिटी एक-दूसरे से अलग-अलग नहीं हैं, बल्कि दोनों में समानता अधिक है. लेकिन आर्य इस वास्तविकता को समझने में असफल रहता है, क्योंकि ज़्यादातर पुरुषों की तरह वह भी यह मान बैठता है कि महिलाएं हमेशा प्रतिबद्धता को अहमियत देती हैं.
बात सिर्फ़ इसी शो की नहीं है. सेक्शुअल संबंधों के इर्दगिर्द बुने गए ज़्यादातर शोज़ और फ़िल्में सेक्स के बारे में हिट ऐंड रन वाला नज़रिया ही पेश कर पाते हैं. यानी वे इस टॉपिक को बस छूकर, भाग जाते हैं, जबकि ज़रूरत होती है इसकी गहराई में उतरने की. इसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने की. आर्य सेक्स संबंधी अपनी पूरी बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल ह्यूमरस वन लाइनर्स बोलकर बयां कर देता है, बिना इस बात की चिंता किए कि उसके कथन में सच्चाई है भी या नहीं. उदाहरण के लिए श्रुति के साथ डिनर करते हुए वह कहता है, महिलाएं फूल पसंद करती हैं, क्योंकि फूल वेजाइना जैसे होते हैं. आर्य के इस तर्क को सुनकर बेट्टी डोडसन (जानीमानी अमेरिकन सेक्स एजुकेटर) ज़रूर अपनी क़ब्र में छटपटा रही होंगी. अगर वे आज जीवित होतीं तो वे मनु जोसफ़, जो कि डीकपल्ड के क्रिएटर हैं को बताती हैं, वे जिस वेजाइना को फूलों के आकार से जोड़ रहे हैं, उसे दरअसल वल्वा कहा जाता है. वेजाइना उसका अंदरूनी पार्ट है.
इस पूरे शो के दौरान, जब डीकपल्ड का नायक आर्य हैंक मूडी (मशहूर अमेरिकी शो कैलिफ़ॉर्निकेशन का नायक) और भारतीय सिरीज़ मस्तराम के नायक का मिलाजुला रूप नहीं लगता, तब वह टीनएजर्स को शर्मिंदा कर रहा होता है. आर्य को टीनएजर्स से हाथ मिलाने में डर लगता है, क्योंकि उसे लगता है कि उम्र के इस पड़ाव में टीनएजर्स अपने हाथों का इस्तेमाल किसी दूसरे काम के लिए करते हैं और उसके बाद हाथ भी नहीं धोते. ऐसे कहकर वह हस्तमैथुन की ओर इशारा करता है.
ऐसे में जब वह दावा करता है कि उसे पुरुषों के विषय में महारत हासिल है और वह सेक्स लेस शादी में है, मुझे टीनएजर्स के हाथों के हाईजीन से ज़्यादा उसके हाथों के हाईजीन की चिंता होती है. आख़िरकार यह विज्ञान द्वारा सिद्ध किया हुआ तथ्य है कि शादीशुदा पुरुष सिंगल लड़कों की तुलना में अधिक बार हस्तमैथुन करते हैं. हां, यह अलग बात है कि वह पुरुष आर्य जैसा सनकी हो, तो यह मान सकता है कि हस्तमैथुन नहीं करना स्वास्थ्य के लिए ज़्यादा लाभदायक होता है. यह देखते हुए कि आर्य को पॉर्न देखने में इंट्रेस्ट है, वह हस्तमैथुन नहीं करता हो, हम मान ही नहीं सकते.
अगर किसी को विज्ञान में रुचि है तो वह जोसफ़ द्वारा सेक्स के बारे में किए गए लचर रीसर्च वर्क से ज़रूर निराश होगा. डीकपल्ड के आर्य की सेक्स के बारे में जानकारी को हम अधपकी और अधकचरा ही कह सकते हैं. इतना ही नहीं, न तो उसके पास पूरी जानकारी है और न ही वह जानकारी जुटाने में रुचि रखता है. सेक्स ही नहीं, उसे मानव शरीर रचना की भी बुनियादी जानकारी नहीं है.
फ़ुट नोट: सच कहें तो सेक्स के बारे में ऊलजुलूल बातें करने की तुलना में दूसरी दुनिया के जीवों की बात करना अधिक आसान होता है, क्योंकि लोग अपने शरीर और उससे जुड़े विज्ञान की जानकारी से ज़्यादा एलियन्स के बारे में जानते हैं.