अमेरिकी कवि, इतिहासकार, उपन्यासकार और लोकगीतकार, आम जनता के कवि थे. उन्हें अपनी रचनाओं के लिए विश्वभर में सम्मानित किया गया. कई कालजयी रचनाओं के लिए विख्यात कार्ल सैंडबर्ग की एक प्रसिद्ध कविता आय एम द पीपल, द मॉब का हिंदी में भावानुवाद प्रस्तुत कर रहे हैं लेखक-कवि दीपक वोहरा.
मैं ही अवाम-जनसैलाब
मैं ही हुजूम ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
क्या आपको मालूम है कि
दुनिया के श्रेष्ठ काम मेरे द्वारा हुए हैं?
मैं ही मज़दूर, मैं ही अन्वेषक
दुनिया के रोटी कपड़े का मूजिद
मैं ही तमाशबीन
इतिहास का शाहिद
नेपोलियन और लिंकन हममें से ही हुए हैं
वो इस दुनिया से रुख़सत हुए,
और ज़्यादा नेपोलियन-लिंकन मुझसे ही पैदा हुए हैं
मैं ही क्यारी
मैं ही घास का मैदान
जोते जाने के लिए खड़ा तैयार
भूल जाता हूं मैं
गुज़रते हैं मेरे ऊपर से
कितने भयानक तूफ़ान
छीन ली जाती हैं मुझसे
बेहतरीन चीज़ें
और तबाह कर दी जाती हैं
फिर भी भूल जाता हूं मैं
मौत के सिवाय हर चीज़ मुझे मिलती है
जो मुझसे काम करवाती है
और छीन लेती है
जो कुछ मेरे पास होता है
और मैं भूल जाता हूं
कभी कभी मैं दहाड़ता हूं
खुद को झिंझोड़ता हूं
और लाल लाल बूंदें बिखेरता हूं
ताकि इतिहास याद रखा जाए
फिर भूल जाता हूं सबकुछ
अगर हम लोग
याद रखना सीख लें,
अगर हम लोग
बीते हुए कल से सबक़ लें,
और यह कभी न भूलें
पिछले साल लूटा किसने
किसने बेवकूफ़ बनाया मुझे
तब दुनिया का कोई भी जुमलेबाज
अपनी ज़ुबान पर नहीं ला पायेगा लफ़्ज़
‘अवाम’
उसकी आवाज़ में नहीं होगी खिल्ली
या उपहास की कुटिल मुस्कान
तब उठ खड़ा होगा जनसैलाब,
अवाम-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा
हिंदी कविता के बाद मूल इंग्लिश पोएम यहां पढ़ें:
I Am the People, the Mob BY CARL SANDBURG
I am the people—the mob—the crowd—the mass.
Do you know that all the great work of the world is done through me?
I am the workingman, the inventor, the maker of the world’s food and clothes.
I am the audience that witnesses history.
The Napoleons come from me and the Lincolns. They die. And then I send forth more Napoleons and Lincolns.
I am the seed ground. I am a prairie that will stand for much plowing. Terrible storms pass over me. I forget. The best of me is sucked out and wasted. I forget. Everything but Death comes to me and makes me work and give up what I have. And I forget.
Sometimes I growl, shake myself and spatter a few red drops for history to remember. Then—I forget.
When I, the People, learn to remember, when I, the People, use the lessons of yesterday and no longer forget who robbed me last year, who played me for a fool—then there will be no speaker in all the world say the name: “The People,” with any fleck of a sneer in his voice or any far-off smile of derision.
The mob—the crowd—the mass—will arrive then.
कौन थे कार्ल सैंडबर्ग?
कार्ल सैंडबर्ग अमेरिकी कवि, इतिहासकार, उपन्यासकार और लोकगीतकार थे. उनका जन्म 6 जनवरी, 1878 गैलेसबर्ग, इलिनोइस में 313 ईस्ट थर्ड स्ट्रीट पर एक तीन कमरे की झोपड़ी में क्लारा मैथिल्डा और अगस्त सैंडबर्ग दंपति के घर हुआ.
परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, यही वजह है कि कार्ल को तेरह साल की छोटी उम्र में स्कूल छोड़ना पड़ा. उन्होंने दूध के वैगन को चलाने से लेकर ईंटों को धोने के लिए कई तरह के अजीब काम किए. उन्होंने गैलेसबर्ग में यूनियन होटल नाई की दुकान में कुली के रूप में काम किया. फिर वह कंसास के गेहूं के मैदानों में राजमिस्त्री और खेतिहर मजदूर बन गए. गैलेसबर्ग के लोम्बार्ड कॉलेज में कुछ समय बिताने के बाद , वह डेनवर में एक होटल नौकर बन गए, फिर ओमाहा में कोयला बीनने वाले बन गए। उन्होंने अपने लेखन करियर की शुरुआत शिकागो डेली न्यूज़ के लिए एक पत्रकार के रूप में की.
बाद में उन्होंने कविता, इतिहास, जीवनियां, उपन्यास, बच्चों का साहित्य और फ़िल्म समीक्षाएं लिखीं. सैंडबर्ग ने गाथागीत और लोककथाओं की पुस्तकों का संग्रह और संपादन भी किया. उत्तरी कैरोलिना जाने से पहले उन्होंने अपना अधिकांश जीवन इलिनोइस, विस्कॉन्सिन और मिशिगन में बिताया.
कार्ल सैंडबर्ग की मृत्यु 22 जुलाई, 1967 को उत्तरी कैरोलिना के फ्लैट रॉक में हुई. उनकी मृत्यु पूरे अमेरिका में पहले पन्ने की ख़बर थी, और लाखों लोगों ने उन पर शोक व्यक्त किया, जिन्होंने महसूस किया कि वे मिडवेस्ट के एक स्पष्ट कवि को जानते थे.
उनकी मृत्यु पर, राष्ट्रपतिलिंडन बी. जॉनसन ने कहा,‘कार्ल सैंडबर्ग अमेरिका की आवाज़ से कहीं अधिक, इसकी ताक़त और प्रतिभा के कवि से कहीं अधिक थे. वह अमेरिका थे.’
सैंडबर्ग ने अपने कार्यों के लिए तीन पुलित्जर पुरस्कार जीते,‘द कम्प्लीट पोयम्स ऑफ़ कार्ल सैंडबर्ग”, कॉर्नहूसर्स, और उनकी जीवनी के लिए,‘अब्राहम लिंकन: द वार इयर्स’. 1957 में, सैंडबर्ग ने जीवनी और न्यूयॉर्क शहर में कैडमॉन रिकॉर्ड्स के लिए लिंकन के कुछ भाषणों के अंश रिकॉर्ड किए. दो साल बाद उन्हें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया-न्यूयॉर्क फिलहारमोनिक के साथ हारून कोपलैंड के लिंकन पोर्ट्रेट की रिकॉर्डिंग के लिए वृत्तचित्र या स्पोकन वर्ड.
रचनाकार: दीपक वोहरा
करनाल, हरियाणा के दीपक वोहरा प्रगतिशील लेखक संघ और जनवादी लेखक संघ से जुड़े हैं. उनकी रचनाएं समाज के दबे-कुचले और पिछड़े वर्ग की पीड़ा को स्वर देती हैं.
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