यदि आप पेंटिंग्स के शौक़ीन हैं तो दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम और वढेरा आर्ट गैलरी में 14 नवंबर से शुरू हो कर 12 दिसंबर तक जारी रहनेवाली ए. रामचंद्रन की पेंटिंग्स की एग्ज़िबिशन का रुख़ ज़रूरी करें. इस बारे में और जानकारी दे रही हैं सुमन बाजपेयी
आगामी 12 दिसंबर तक दिल्ली की इन दो गैलरीज़ में चलनेवाली प्रतिष्ठित चित्रकार ए. रामचंद्रन की ये वे पेंटिंग्स हैं, जो उन्होंने कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के समय में बनाई हैं. समकालीन भारतीय कला के जानेमाने कलाकार ए. रामचंद्रन ने शांतिनिकेतन के कला भवन में नन्दलाल बसु व रामकिंकर बैज जैसे प्रख्यात कला-आचार्यों की देख-रेख में फ़ाइन ऑर्ट की पढ़ाई की. ‘सबल्टर्न नायिकाएं ऐंड लोटस पॉन्ड’ शीर्षक के तहत उनकी तेरह नई पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं. इन्हें देखकर आप जान पाएंगे कि लॉकडाउन के दौरान इस कलाकार ने किस तरह इस लंबे समय का उपयोग अवसाद में घिरने के बजाय अपनी कला में अभूतपूर्व प्रयोग कर उसे एक नई शैली प्रदान की. अपनी इस एकल प्रदर्शनी में पेंटिंग्स की भव्यता और सूक्ष्म अभिव्यक्तियों द्वारा उन्होंने अपनी नवीनतम रचनात्मकता को प्रतिबिंबित किया है, जिसने उन्हें उन दो वर्षों की महामारी के दौरान उदासी से भरे माहौल का मुक़ाबला करने में मदद की.
रामचंद्रन के चित्रों में तीन दशकों से राजस्थानी आदिवासी भील महिलाएं सौंदर्यशास्त्र के रूप में कायम रही हैं. फिर अचानक वह ‘सबाल्टर्न’ कैसे हो गए? क्या यह प्राचीन नाट्यशास्त्र के प्रति विशिष्ट श्रद्धा रखते हुए काम करने का उनका एक तरीक़ा है या ये आठ महिलाएं तो उनके चित्रों के केंद्र में हैं, वे भरतमुनि के प्रसिद्ध ग्रंथ नाट्यशास्त्र में वर्णित आठ प्रकार की नायिकाओं, जिन्हें अष्टनायिका कहते हैं, का ही चित्रण है.
रेगिस्तानी राज्य के उदयपुर बेल्ट में फैले जलाशय लंबे समय से केरल में जन्मे रामचंद्रन का एक और जुनून रहे हैं. जिसका परिणाम हमारे सामने ‘लोटस पॉन्ड’ श्रृंखला के रूप में है. रामचंद्रन कहते हैं, ये पेंटिंग उन दिनों की हैं जब सबसे कट कर एक अवसाद भरे माहौल में मैं सारे दिन घर में बैठने को मजबूर था. मेरे चित्रों में उदयपुर और उसके आसपास के आदिवासियों का सदा से प्रभाव रहा है. यह एक तरह का ऐसा अनुभव था जिसे ‘शांति में पुरानी बातों को याद करना’ कहा जा सकता है. ये रंगों और रेखाओं की खोज करते हुए अनुभवों को पुनः आकार देने के पल थे.
पद्म भूषण पुरस्कार व कालिदास सम्मान और राजा रवि वर्मा पुरस्कार जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित ए. रामचंद्रन ने अपनी इन पेंटिंग्स में रंगों को अलग ही ढंग से उकेरा है. जटिलता दिखाई देती है उनकी कूची में. विभिन्न रंगों की बहुत ही पतली परतें ख़ूबसूरती से एक-दूसरे से जुड़ती हैं. प्रत्येक परत पहली वाली परत के सौंदर्य के बदल देती है और उसे नए रूप में बदलने में मदद करती है. चमकीले, गहरे रंग एक साथ उभरते हैं और पूरी रचना को एकात्मकता प्रदान करते हैं.