केवल बारिश के दिनों में मिलने वाले कंटोले को आप अपनी डायट में ज़रूर शामिल करें, क्योंकि ये गुणों की खान होते हैं. ये बारिश के मौसम में होनेवाले माइक्रोबियल इन्फ़ेक्शन्स से बचाते हैं और आपको सेहतमंद रखते हैं. इन्हें डायट में शामिल करने के फ़ायदे गिना रहे हैं डॉक्टर दीपक आचार्य.
मानसून में गांव-देहातों के बाज़ार घूमिएगा तो कंटोला बिकते हुए दिख जाएंगे. अलग-अलग इलाकों में इसके स्थानीय नाम अलग-अलग हैं, कहीं इसे काटवल कहते हैं तो कहीं ककोड़ा और कहीं परोड़ा कहते हैं. मध्यभारत के ग्रामीण अंचलों में तो इसे इस दौर में ख़ूब देखा जा सकता है. गुजरात में भी ख़ूब देखा और खाया है मैंने.
मॉनसून जब चरम पर होता है तो इसकी भरमार बाज़ार में देखी जा सकती है. सबसे बड़ी बात ये कि मॉनसून के अलावा इसे आप किसी और सीज़न में नहीं देखेंगे. ये प्रकृति का नियम है कि जिस मौसम में हम इंसानों को जिस चीज़ की ज़्यादा ज़रूरत होगी, उसका समाधान हमारे आसपास में ही होता है. मॉनसून में माइक्रोबियल इन्फ़ेक्शन ताबड़तोड़ तरीक़े से हावी हो जाते हैं और कंटोला एक ज़बर्दरस्त एंटीमाइक्रोबियल एजेंट है.
रिसर्च क्या कहती है?
जर्नल ऑफ़ फ़ार्मेसी रिसर्च (2007) में एक क्लीनिकल इवैल्यूएशन पब्लिश हुआ था और इस रिसर्च फ़ाइंडिंग को पढ़कर जानकारी मिलती है कि अनेक ग्राम पॉज़िटिव और ग्राम नेगेटिव बैक्टीरिया पर कंटोला के फल अच्छा ख़ासा अटैक करते हैं. इसके फलों में फ़िनोलिक कंपाउंड्स, फ़्लेवेनोइड्स और स्टेरोल्स पाए जाते हैं, जिस वजह से ये ऐंटीमाइक्रोबियल होने के साथ साथ एक बेहतरीन ऐंटीऑक्सिडेंट भी है. इसके फलों के औषधीय गुणों को लेकर सैकड़ों रिसर्च स्टडीज़ छप चुकी हैं और सारी कहानियों का सार यही है कि ये हमारी सेहत को एकदम टनाटन करने में कारगर है. आपको जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए कि अपने गुणों की वजह से ही कंटोला सबसे महंगी सब्ज़ियों में से एक है. डायबेटिक्स के लिए भी कंटोला ज़बर्दस्त है. कैलोरीज़ के नाम पर इसमें कुछ नहीं होता. इसमें पाए जाने वाले मैक्रो और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स कई अन्य हेल्थ इशूज़ में बड़े काम के हैं.
बात काम की है!
लेकिन….लेकिन, हम शहरी लोगों को इस तरह के फल और सब्ज़ियां ऊटपटांग लगती हैं. मेरा तो काम ही यही है कि आप सबको बताता रहूं कि क्या नहीं खाकर आप क्या ग़लती कर रहे हैं. मैंने भी लम्बे अरसे तक यही ग़लती करी. पिताजी तो हम दोनों भाइयों को यही कहते थे कि ये एनीमिया दूर करता है और शरीर को ताक़त भी देता है. उस दौर में कंटोला और करेला से मेरी नफ़रत ख़ानदान ज़ाहिर थी. जब आदिवासियों के पारंपरिक हर्बल ज्ञान को बटोरने लगा तो समझ आया कि बहुत साल से मेरी अक़्ल की भैंस भूसे की जुगाली कर रही थी. कुल मिलाकर देर सवेर समझ आया कि मौसमी फलों और सब्ज़ियों को मिस करना बेवकूफ़ी है.
सबसे बड़ी फ़ार्मेसी है प्रकृति
सीज़न के हिसाब से सब्ज़ियों और फलों को खाना शुरू करें,.सबसे बड़ी फ़ार्मेसी नेचर ही है. डीप फ्रीज़र में रखी सब्ज़ियां, पैकेज्ड फ़ूड और विज्ञापन दिखाकर बेचे जाने वाले फ़ूड प्रोडक्ट्स आपको अस्पताल की सैर ज़रूर करवाएंगे, आज नहीं तो कल. सही तरह का खानपान रखेंगे तो दूसरों से ये सवाल करना भूल जाएंगे कि ‘तुम किस चक्की का आटा खाते हो?’ चक्की भी वही है, आटा भी वही, जो आपके पास नहीं है, वो है-आपका खानपान का सही तरीक़ा और सही चीज़ें.
तो झोला उठाइए और निकल पड़िए, हिमालय की तरफ़ नहीं, आसपास के गांव-देहात के बाज़ार की तरफ़, क्या पता कंटोला मिल जाए…
फ़ोटो: पिन्टरेस्ट