विश्वस्तर पर प्रसिद्ध इंटरनैशनल बुकर पुरस्कार हिंदी के उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सैंड’ को मिला है. यह हिंदी की पहली किताब है, जिसे यह पुरस्कार मिला है. गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत-समाधि’ वर्ष 2018 में राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया था. डेज़ी रॉकवेल द्वारा किया गया इसका अंग्रेजी अनुवाद वर्ष 2021 में ब्रिटेन में प्रकाशित हुआ था.
वरिष्ठ कथाकार गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ को इंटरनैशनल बुकर प्राइज़ 2022 के लिए चुना गया है. हिन्दी की यह पहली किताब है जिसने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित यह पुरस्कार हासिल किया है. ‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी में डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए गए अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सैंड’ को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है. ‘रेत-समाधि’ को इंटरनैशनल बुकर प्राइज़ प्रदान किए जाने की घोषणा लंदन में की गई. इस अवसर पर गीतांजलि श्री, डेजी रॉकवेल और अशोक महेश्वरी लंदन में मौजूद थे.
पुरस्कार के लिए अपनी किताब के चयन पर गीतांजलि श्री ने कहा, ‘‘मेरे लिए यह बिलकुल अप्रत्याशित है लेकिन अच्छा है. मैंने कभी बुकर का सपना नहीं देखा था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यह पुरस्कार हासिल कर सकती हूं. यह बहुत बड़े स्तर का पुरस्कार है, जिसको पा कर मैं विस्मित हूं. मैं प्रसन्न, सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूं. मैं बुकर फाउंडेशन और बुकर जूरी को धन्यवाद देती हूं कि उन्होंने रेत- समाधि को चुना. इसके पुरस्कृत होने में एक उदास संतुष्टि है. रेत-समाधि इस दुनिया की प्रशस्ति है, जिसमें हम रहते हैं, एक विहंसती स्तुति जो आसन्न कयामत के सामने उम्मीद बनाए रखती है. बुकर निश्चित रूप से इस उपन्यास को कई और लोगों तक ले जाएगा, जिन तक अन्यथा यह नहीं पहुंच पाता.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘जब से यह किताब बुकर की लॉन्ग लिस्ट आई तब से हिंदी के बारे में पहली बारे में बहुत कुछ लिखा गया. मुझे अच्छा लगा कि मैं इसका माध्यम बनी लेकिन इसके साथ ही मैं इस बात पर ज़ोर देना चाहती हूं कि मेरे और इस पुस्तक के पीछे हिंदी और अन्य दक्षिण एशियाई भाषाओं की अत्यंत समृद्ध साहित्यिक परंपरा है. इन भाषाओं के बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर विश्व साहित्य समृद्ध होगा. इस तरह के परिचय से जीवन की शब्दावली बढ़ेगी.’’
गीतांजलि श्री ने अपने मूल प्रकाशक अशोक महेश्वरी, अनुवादक डेज़ी रॉकवेल और अंग्रेजी प्रकाशक का भी आभार प्रकट किया.
इस मौक़े पर राजकमल प्रकाशन के प्रबन्ध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा,‘‘‘रेत-समाधि’ को इंटरनैशनल बुकर प्राइज़ दिया जाना हिन्दी समेत सभी भारतीय भाषाओं में लिखे जा रहे साहित्य के लिए विशिष्ट उपलब्धि है. इससे स्पष्ट हो गया है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं का उत्कृष्ट लेखन दुनिया का ध्यान तेज़ी से आकर्षित कर रहा है.’’
उल्लेखनीय है कि इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ अंग्रेजी में प्रकाशित (मूल या अनूदित) कृति को ही दिया जाता है. ‘रेत-समाधि’ हिन्दी उपन्यास है, जिसके डेज़ी रॉकवेल द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद को इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ प्रदान किया गया है. मूल उपन्यास को राजकमल प्रकाशन ने प्रकाशित किया है.