• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home ज़रूर पढ़ें

क्या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड वाक़ई ज़रूरी है?

या फिर यह समान नागरिक संहिता सिर्फ़ एक राजनीतिक शिगूफ़ा है

शिल्पा शर्मा by शिल्पा शर्मा
April 8, 2024
in ज़रूर पढ़ें, नज़रिया, सुर्ख़ियों में
A A
क्या यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड वाक़ई ज़रूरी है?
Share on FacebookShare on Twitter

बीते दिनों जब उत्तराखंड में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लागू किया गया, इसे इस तरह बताया गया कि जैसे इसके आने पर ही सभी को समान अधिकार मिले हों. लेकिन सच तो यह है कि हमारे देश का 95% क़ानून हर जाति, धर्म, वर्ग और संप्रदाय के लिए एक जैसा ही है. तो वह कौन सा पांच प्रतिशत क़ानून है, जिसे बदलकर यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लाए जाने का एक माहौल सा बनाया जा रहा है. आइए, आसान भाषा में इसे समझते हैं.

हमारे देश में दो तरह के कानून हैं – क्रिमिनल लॉ (फ़ौजदारी कानून) और सिविल लॉ (दीवानी मामले). क्रिमिनल लॉ हिंसक अपराधों के मामले में न्याय करने के लिए है और सिविल लॉ अहिंसक क़िस्म के अपराधों के मामले में न्याय करने के लिए बनाया गया है.

क्रिमिनल लॉ भारत के हर व्यक्ति के लिए एक जैसा है. हत्या, लूटपाट करने वाला किसी भी धर्म का हो, उसे अपने अपराध की गंभीरता के अनुसार एक समान सज़ा मिलती है. सिविल लॉ भी सभी नागरिकों के लिए एक जैसा है है. ज़मीन हड़पना, घर हड़पना, जालसाज़ी, चोरी, लूट करना जैसे इन सभी अपराधों के लिए भी सभी धर्म के लोगों के लिए एक जैसा क़ानून है.
सिविल लॉ का एक छोटा सा, लगभग 5% का हिस्सा है पर्सनल लॉ, जिसके तहत केवल तीन-चार चीज़ें आती हैं, जैसे- शादी, तलाक़, संपत्ति अधिकार और अडॉप्शन या गोद लेना. और इस पांच प्रतिशत हिस्से को एक जैसा बनाने की क़वायद ही यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड है.

इन्हें भीपढ़ें

abul-kalam-azad

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद: वैज्ञानिक दृष्टिकोण के पक्षधर

June 3, 2025
dil-ka-deep

दिल में और तो क्या रक्खा है: नासिर काज़मी की ग़ज़ल

June 3, 2025
badruddin-taiyabji

बदरुद्दीन तैयबजी: बॉम्बे हाई कोर्ट के पहले भारतीय बैरिस्टर

June 2, 2025
economy

क्या विश्व की चौथी बड़ी अर्थ व्यवस्था का सच जानते हैं आप?

May 26, 2025

अब समझने वाली बात यह है कि देश का पूरा कानून 95% सभी के लिए एक जैसा है और केवल पर्सनल लॉ (5%) हर धर्म के हिसाब से अलग है. यहां भारत के संविधान ने छूट दी है कि हर धर्म का नागरिक अपने धर्म के हिसाब से ये चार चीज़ें कर सकता है. हिंदुओं के शादी के रिवाज़ अलग हैं और इसी तरह मुस्लिमों, कृश्चनों और सिक्खों के अलग हैं. यहां तक कि आदिवासियों के भी विवाह के अपने अलग रिवाज़ हैं.

अत: क़ानून में धर्म के हिसाब से अलग इस 5% हिस्से में हिंदुओं की शादी के लिए हिंदू मैरिज ऐक्ट है तो मुस्लिमों के लिए उनका अलग क़ानून है- शरिया क़ानून और कृश्चनों के लिए उनके धर्म के हिसाब से और फिर एक अंतरधार्मिक शादी के लिए भी स्पेशल मैरिज ऐक्ट भी है, वह बेसिकली एक यूसीसी की तरह ही है.

अब ज़रा हमारे देश पर एक नज़र डालिए. हमारा देश इतनी विविधताओं से भरा है कि यह मान लेना कि हिंदुओं के भी सारे रिवाज़ एक जैसे हैं, बिल्कुल गलत होगा. उदाहरण के लिए- हिंदी पट्टी के हिंदुओं में भाभी को मां की तरह माना जाता है, लेकिन पंजाब के पंजाबी हिंदुओं में पति की मौत की स्थिति में देवर से भाभी की शादी का रिवाज़ है, जिसे ‘चादर डालना’ कहते हैं. हिंदी पट्टी के हिंदुओं में मामा के लिए भांजी मान्य होती है, पूज्य होती है, जबकि आंध्र प्रदेश के हिंदुओं में मामा और भांजी की शादी को बहुत पवित्र माना जाता है.

अब आप इस मामले में कौन सा यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लेकर आएंगे, जो इन दोनों रिवाज़ों को एक जैसा बना दे और दोनों तबकों के हिंदू इसे मानने को तैयार हो जाएं?

अच्छा, अब यह भी जान लें कि हिंदू मैरिज ऐक्ट के अनुसार सपिंड विवाह मान्य नहीं है (लेकिन जैसा कि मैंने ऊपर बताया आंध्र प्रदेश के हिंदुओं में तो मामा और भांजी की शादी होती भी है और पवित्र भी मानी जाती है). अब आप कहेंगे कि सपिंड विवाह क्या है? तो आपको बता दें कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 3 (f) (ii) के तहत दो लोगों के पूर्वज अगर एक ही थे तो उनके विवाह को ‘सपिंड विवाह’ माना जाता है.
हिंदू विवाह अधिनियम के मुताबिक, लड़का या लड़की अपनी मां के परिवार में उसकी तीन पीढ़ियों तक शादी नहीं कर सकता/सकती. वहीं पिता की तरफ़ से पांच पीढ़ियों यानी दादा-दादी के दादा-दादी तक तक सपिंड विवाह की पाबंदी है.
इसी नियम का हवाला देते हुए हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक हिंदू महिला के विवाह को अवैध करार दिया है.

इसके मुताबिक़ तो फिर आंध्र प्रदेश में मामाओं की अपनी भांजियों से हुई सभी शादी भी अवैध हो जाएंगी. लेकिन हो सकता है कि वहां ऐसा कोई मामला आने पर अदालत इसे वहां का ‘रिवाज़’ बताकर ऐसी शादी को वैध करार दे. तब तो आगे अपना ‘रिवाज़’ बताकर कई अलग धर्मों के लोगों की, कई अलग तरह की शादियों में इस तरह की छूट देनी होगी. ऐसे में यूनफ़ॉर्म सिविल कोड का आना कितना फ़ायदेमंद साबित होगा यह कहा नहीं जा सकता. इस बात की भी प्रबल संभावना है कि यूसीसी का आना एक बेजा क़वायद साबित हो.

फिर जहां 95% देश क़ानून सभी के लिए एक जैसा है, वहां केवल बचे हुए पांच फ़ीसदी क़ानून को, जो केवल निजी शादी-ब्याह, तलाक़, संपत्ति और गोद लेने तक ही सीमित है, उसे बदलने की क्या ऐसी भी क्या ज़रूरत और जल्दी है?

हमारे संविधान निर्माताओं ने भी इस देश की विविधता को समझते हुए ही इस मुद्दे पर कोई क़ानून बनाना ज़रूरी नहीं समझा और सभी धर्म के लोगों को अपने धर्म व रिवाज़ के मुताबिक इन बातों को अपनाने की छूट दी.

दरअसल, कार्यपालिका को यह बात समझनी चाहिए कि किसी चीज़ को खामखा इतना बड़ा ज्वलंत मुद्दा बना देना, जितना कि वह है भी नहीं, देश के हित में अच्छा नहीं होता. इस तरह तो लोकतंत्र या देश नहीं चलता. देश तो व्यावहारिकता से चलता है. और भारत जैसे विभिन्न भाषा-भाषी व विभिन्न रिवाज़ों से बने देश चलाने के लिए तो आपको अति व्यावहारिक होना चाहिए, ताकि किसी के भी निजी अधिकारों का हनन न होने पाए.

फ़ोटो साभार: फ्रीपिक

 

 

 

 

Tags: Hindu Marriage ActSapind MarriageSapind VivahSharia LawSpecial Marriage ActUCCUniform Civil Codeयूनिफ़ॉर्म सिविल कोडयूसीसीशरिया क़ानूनसपिंड मैरिजसपिंड विवाहसमान नागरिक संहितास्पेशल मैरिज ऐक्टहिंदू मैरिज ऐक्ट
शिल्पा शर्मा

शिल्पा शर्मा

पत्रकारिता का लंबा, सघन अनुभव, जिसमें से अधिकांशत: महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर कामकाज. उनके खाते में कविताओं से जुड़े पुरस्कार और कहानियों से जुड़ी पहचान भी शामिल है. ओए अफ़लातून की नींव का रखा जाना उनके विज्ञान में पोस्ट ग्रैजुएशन, पत्रकारिता के अनुभव, दोस्तों के साथ और संवेदनशील मन का अमैल्गमेशन है.

Related Posts

स्वीट सिक्सटी: डॉ संगीता झा की कहानी
ज़रूर पढ़ें

स्वीट सिक्सटी: डॉ संगीता झा की कहानी

May 12, 2025
kid-reading-news-paper
कविताएं

ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा: राजेश रेड्डी की ग़ज़ल

April 21, 2025
executive-and-judiciary
ज़रूर पढ़ें

क्या सुप्रीम कोर्ट को संसद के बनाए क़ानून की समीक्षा का अधिकार है?

April 20, 2025
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: oye.aflatoon@gmail.com
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

- Select Visibility -

    No Result
    View All Result
    • सुर्ख़ियों में
      • ख़बरें
      • चेहरे
      • नज़रिया
    • हेल्थ
      • डायट
      • फ़िटनेस
      • मेंटल हेल्थ
    • रिलेशनशिप
      • पैरेंटिंग
      • प्यार-परिवार
      • एक्सपर्ट सलाह
    • बुक क्लब
      • क्लासिक कहानियां
      • नई कहानियां
      • कविताएं
      • समीक्षा
    • लाइफ़स्टाइल
      • करियर-मनी
      • ट्रैवल
      • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
      • धर्म
    • ज़ायका
      • रेसिपी
      • फ़ूड प्लस
      • न्यूज़-रिव्यूज़
    • ओए हीरो
      • मुलाक़ात
      • शख़्सियत
      • मेरी डायरी
    • ब्यूटी
      • हेयर-स्किन
      • मेकअप मंत्र
      • ब्यूटी न्यूज़
    • फ़ैशन
      • न्यू ट्रेंड्स
      • स्टाइल टिप्स
      • फ़ैशन न्यूज़
    • ओए एंटरटेन्मेंट
      • न्यूज़
      • रिव्यूज़
      • इंटरव्यूज़
      • फ़ीचर
    • वीडियो-पॉडकास्ट
    • लेखक

    © 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.