इश्क़ की ख़ुशबू को आप छुपा नहीं सकते इसलिए बेहतर होगा कि इश्क़ हो तो इश्क़ को स्वीकार कर लें. मुनव्वर राना की ग़ज़ल कभी इश्क़ करने तो कभी इश्क़ से छुट्टी लेने की सलाह देती है.
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिए
आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं
आप कश्ती हैं तो हमको पार होना चाहिए
ऐरे ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आपको औरत नहीं अख़बार होना चाहिए
ज़िंदगी कब तलक दर दर फिराएगी हमें
टूटा फूटा ही सही घर बार होना चाहिए
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दें मुझे
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए
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