आज पूरे विश्व में महिलाओं की स्थति में जो भी सुधार आया है, जैसे- उन्हें शिक्षा का अधिकार, वोट देने का अधिकार मिलना, उनका नौकरी कर पाना, समान काम के लिए समान वेतन (जो अभी भी कई जगह नहीं मिलता!) वगैरह इसके पीछे लंबे समय (सौ वर्ष से भी अधिक) तक महिलाओं और उन्हें समझने वाले पुरुषों ने संघर्ष किया है. बावजूद इसके यह सच है कि महिलाओं को अब तक वो सहज समानता नहीं मिली, जो मिलनी चाहिए. और आज के समय में जब हर व्यक्ति के हाथ में एक मोबाइल फ़ोन है, जिससे वह किसी भी घटना का वीडियो बना सकता है, महिलाओं के लिए अलग ही तरह की मुश्क़िल आ खड़ी हुई है. ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि महिलाओं के शरीर को ले कर हम अपनी कंडिशनिंग बदलें.
कहा जाता है कि जब हम अपनी सोच बदलते हैं तो हमारे आसापास की चीज़ें भी बदलना शुरू हो जाती हैं. बीते सप्ताह चंडीगढ़ के नज़दीक एक निजी विश्वविद्यालय में कुछ लड़कियों का बाथरूम वीडियो वायरल होने पर हंगामा मचा. कथित तौर पर यह वीडियो कैंपस की ही एक छात्रा ने बनाया और शिमला में एक लड़के को भेज दिया, जिसने इसे वायरल कर दिया. इसके बाद कई छात्राओं के आत्महत्या करने के प्रयास करने की ख़बर भी चली, जिसका पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन ने खंडन किया.
वहीं एक ख़बर यह भी सामने आई है कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में गैंग रेप की शिकार एक 15 वर्षीय लड़की बचने के लिए निर्वस्त्र ही सड़क पर निकल भागी और घर पहुंची. तब भी लोगों ने उसका भी वीडियो बनाया और वायरल कर दिया. काश! कि वीडियो बनाने वालों ने वीडियो बनाने की जगह, उसे कपड़े दे दिए होते. लेकिन हमारे डिजिटल होते समाज में इंसानियत का जज़्बा बहुत कम होता जा रहा है. और यह चिंता का विषय है.
आज के समय में कई बार यह सुनने में आता है कि प्रेमी ही अपनी प्रेमिकाओं के साथ सेक्शुअल संबंध बनाते समय धोखे से उसका वीडियो बना लेते हैं और उसे वायरल करने का डर दिखा कर उन पर जबरन संबंध कायम करने का दबाव बनाते हैं. यहां यह कहना भी ज़रूरी है कि कई महिलाएं भी इस तरह के वीडियो बना कर, वायरल करने का डर दिखा कर पुरुषों को ब्लैकमेल करती हैं. पर हम बात को महिलाओं पर ही केंद्रित रखना चाहते हैं, क्योंकि आज भी समाज इस तरह के वीडियो वायरल होने की स्थिति में महिलाओं को ही कटघरे में खड़ा करता है. सदियों की इस कंडिशनिंग का युवतियों और महिलाओं के मानस पर इतना दबाव होता है कि वे जीने और संघर्ष करने की राह छोड़ कर आत्महत्या जैसा क़दम उठा लेती हैं.
इस तरह के वीडियो महिलाओं के प्रेम में स्वेच्छा से संबंध बनाने के भी बना लिए जाते हैं और उनका बलात्कार करते समय भी बना लिए जाते हैं. उन्हें वायरल करने की धमकी भी दी जाती है और वायरल कर भी दिया जाता है. पर ऐसे वीडियोज़ में संबंध तो दो लोग बना रहे होते हैं और अमूमन दोनों ही बिना कपड़ों के नज़र आते हैं, पर शर्म का पूरा बोझ किसी महिला और उसके शरीर पर ही लाद दिया जाता है, क्यों?
सदियों की कंडिशनिंग है. आसानी से नहीं जाएगी. पर कहीं से तो इसके प्रयास शुरू करने होंगे. और अब वक़्त आ गया है कि ये प्रयास संजीदगी से शुरू किया जाए. महिलाओं शरीर के बारे में हमें अपनी कंडिशनिंग बदलनी ही होगी, क्योंकि आज हर व्यक्ति (याद रखिए मैंने केवल पुरुष नहीं कहा, क्योंकि चंडीगढ़ वाले मामले में आरोप एक युवती पर है) के हाथ में मोबाइल है. वो अपनी कुंठित मानसिकता के चलते या किसी तरह के दबाव में आकर किसी का भी वीडियो बना कर वायरल कर सकता है. हम उन्हें नहीं रोक सकते, लेकिन अपनी मानसिकता को तो बदल ही सकते हैं.
जहां तक बात बलात्कार के समय वीडियो बनाए जाने की है तो हम सभी को यह समझने की ज़रूरत है कि बलात्कार किसी भी लड़की के साथ हुई एक दुर्घटना है, जिसके लिए लड़की दोषी ही नहीं है. ऐसे में उस लड़की के परिजनों को चाहिए कि उसे कहें कि इसे एक दुर्घटना समझ कर भूल जाओ. हां, इंसाफ़ की लड़ाई में ज़रूर उसका साथ दीजिए, लेकिन इस घटना से उसके मन पर कोई अपराधबोध कभी न पलने दीजिए. ज़रूरत हो तो उन्हें साइकोलॉजिकल/साइकियाट्रिक ट्रीटमेंट दिलवाइए.
किसी महिला का बलात्कार होने पर अमूमन लिखा जाने वाला यह वाक्य कि महिला की इज़्ज़त लूट ली गई, महिलाओं के शरीर को ले कर हमारी कंडिशनिंग से ही प्रेरित है. पर साथ ही यह वाक्य यह भी तो बता देता है कि पहली बात तो पुरुष की तो कोई इज़्ज़त ही नहीं होती और दूसरी बात कि वह तो सिर्फ़ इज़्जत का लुटेरा है. लेकिन इन दोनों बातों पर और ख़ासतौर पर लुटेरा होने को ले कर हमने कभी किसी पुरुष को शर्मिंदा होते तो नहीं देखा. आपने देखा है क्या? जबकि शर्मिंदगी की बात तो ये होनी चाहिए.
अमूमन लड़कियां जब किसी से संबंध बनाती हैं (हनीट्रैप और वेश्यावृत्ति अपवाद हो सकते हैं) तो वे मानसिक तौर पर जुड़ने के बाद ही ऐसा करती हैं (फिर चाहे वे अविवाहित ही क्यों न हों!). ऐसे में यदि उनका साथी धोखे से उनका वीडियो बना ले और ब्लैकमेल करता रहे तो वे इस डर से किसी को बता ही नहीं पातीं कि यदि वीडियो वायरल हो गया तो उनका नग्न शरीर सबके सामने आ जाएगा. पर शरीर तो सिर्फ़ शरीर है, उसका हमारी इज़्ज़त से केवल उतना ही लेना-देना है, जितना कि हम अपने दिमाग़ में बिठा लें. चूंकि पितृसत्तात्मक सोच की वजह से हमेशा महिलाओं के शरीर को टैबू बना दिया गया है इसलिए उनका बलात्कार हो या फिर इस तरह के वीडियो वायरल हों तो उसे पूरे परिवार की इज़्ज़त से जोड़ दिया गया है और इस तरह यह दबाव सिर्फ़ पीड़ित महिलाओं और उनके परिजनों (जिनमें आप भी शामिल हो सकते हैं!) के मत्थे मढ़ दिया गया है.
अब मुख्य बात पर आते हैं. इस डिजिटल युग में, जब हर व्यक्ति के हाथ में स्मार्ट फ़ोन है और हम नहीं जानते कि किसके भीतर किस तरह का इंसान, किस तरह का साइकोपैथ है, जो किस समय का वीडियो बना लेगा. तो समय आ गया है कि हम सब (ख़ासतौर पर पुरुष) सबसे पहले तो अपने मन के भीतर यह बात बिठा लें कि शरीर सिर्फ़ शरीर है. उसका इज़्ज़्त से कुछ लेना देना नहीं है. जैसे पुरुषों का शरीर है, वैसे ही महिलाओं का शरीर है. बनावट अलग है बस. इस दुनिया में शरीर को ढंक कर इज़्ज़तदार बनने का ढोंग केवल मनुष्य ही करता है. आज भी हमारे चारों ओर जानवर (फिर चाहे वे नर हों या मादा) बिना कपड़े के ही घूमते हैं और हम उन्हें देख कर सहज ही रहते हैं. यह बात विशेषतौर पर घर के पुरुषों को अपने मन में ज़रूर बैठा लेनी चाहिए, ताकि वे अपने घर की महिलाओं को यह बात समझा सकें.
दूसरा क़दम ये है कि अपनी बच्चियों, बहनों, महिलाओं के मन में यह बात बिठा दें कि यदि कभी कोई भी व्यक्ति आपके शरीर का किसी भी तरह का वीडियो बना कर वायरल करने की धमकी दे (फिर चाहे उन्होंने संबंध स्वेच्छा से बनाए हों या उनके साथ बलात्कार हुआ हो) तो डरो मत. उसके दबाव में मत आओ. पुलिस में शिकायत करो. मामला साइबर सेल तक ले कर जाओ. उससे कहो कि यह सिर्फ़ शरीर है और जैसा मेरा है, बिल्कुल वैसा ही तुम्हारी मां, बहन और बेटी का भी है. केवल उन्नीस-बीस का ही फ़र्क़ है- रंग, क़द-काठी और चेहरा. कहीं किसी सिरफ़िरे ने मेरी तस्वीर की जगह मॉर्फ़ कर के इसी वीडियो में तुम्हारी मां, बहन या बेटी की तस्वीर लगा दी तो क्या होगा?
जिस दिन से हमने महिलाओं के शरीर को केवल शरीर मानना सीख लिया, उस दिन से कोई भी व्यक्ति (महिला/पुरुष) किसी भी दूसरे व्यक्ति को ऐसे वीडियो वायरल करने की धमकी दे ही नहीं सकेगा, क्योंकि तब ऐसी धमकियां काम करना ही बंद कर देंगी.
जब आत्मविश्वास के साथ हर परिवार, हर परिवार का पुरुष फिर चाहे वो पिता हो, भाई हो, बेटा हो, पति हो या दोस्त, अपने घर की महिलाओं को यह बात सिखा देगा कि शरीर सिर्फ़ शरीर है, उसे उतनी ही तरजीह दो, तो मुझे भरोसा है कि सदियों की इस कंडिशनिंग से पार पाने में हमें बहुत ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा. वजह? डिजिटल युग है दोस्तों… यदि इस पोस्ट में सार है, समझाइश है, जो सही है और आपके घर में मां, बहन और बेटी है या फिर पिता, भाई, बेटा या पति है… तो इसे वायरल होते देर नहीं लगेगी.
फ़ोटो: फ्रीपिक