जीवन को अस्थिर कर देनेवाली घटनाओं में बाढ़ भी शामिल है. जब जीवन अस्थिर होता है, तब उसे सबसे अधिक ज़रूरत होती है प्रार्थना और विश्वास की. विनोद कुमार शुक्ल की कविता ‘जब बाढ़ आती है’ आस्था के इम्तिहान के इन्हीं क्षणों को शब्द देती है.
जब बाढ़ आती है
तो टीले पर बसा घर भी
डूब जाने को होता है
पास, पड़ोस भी रह रहा है
मैं घर को इस समय धाम कहता हूं
और ईश्वर की प्रार्थना में नहीं
एक पड़ोसी की प्रार्थना में
अपनी बसावट में आस्तिक हो रहा हूं
कि किसी अंतिम पड़ोस से
एक पड़ोसी बहुत दूर से
सबको उबारने
एक डोंगी लेकर चल पड़ा है
घर के ऊपर चढ़ाई पर
मंदिर की तरह एक और पड़ोसी का घर है
घर में दुख की बाढ़ आती है
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