प्रिय के विरह में दुखी प्रेमिका अपने प्रेमी के आगमन की कामना करती है. वह उसके संभावित आगमन पर उसके स्वागत की तैयारियों के बारे में बताती है. महादेवी वर्मा की यह कविता प्रेम और विरह की मधुर कल्पनाओं को स्वर देती है.
जो तुम आ जाते एक बार
कितनी करुणा कितने संदेश
पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग
आंसू लेते वे पथ पखार
जो तुम आ जाते एक बार
हंस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत
लुट जाता चिर संचित विराग
आंखें देतीं सर्वस्व वार
जो तुम आ जाते एक बार
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