जानेमाने समाजसेवी व गांधीवादी हिमांशु कुमार की यह कविता मॉब लिंचिंग की ओर ध्यान आकर्षित कराती है. इस संवेदनशील कविता को पढ़ कर आप समझ पाते हैं कि कितनी तुच्छ सी बातों पर इन दिनों लोग एक-दूसरे की बेशक़ीमती जान के दुश्मन बन जाते हैं और असमय ही क्रूरता से किसी के जीवन का अंत कर देते हैं. इसे पढ़ कर हर संवेदनशील मन एक बार यह सोचने पर मजबूर होगा कि आख़िर इतनी छोटी बातों पर किसी की जान क्यों ली जाए?
कुछ लोग मारे गए,
क्योंकि उनकी दाढ़ियां लंबी थीं…
और दूसरे कुछ इसलिए मारे गए,
क्योंकि उनकी खाल का रंग
हमारी खाल के रंग से ज़रा ज़्यादा काला था…
कुछ लोगों की हत्या की
वाजिब वजह यह थी कि
वो एक ऐसी किताब पढ़ते थे,
जिसके कुछ पन्नों में
हमारी किताब के कुछ पन्नों से
अलग बातें लिखी हुई थीं…
कुछ लोग इसलिए मारे गए,
क्योंकि वो हमारी भाषा नहीं बोलते थे
और कुछ को इसलिए मरना पड़ा,
क्योंकि वो हमारे देश में नहीं पैदा हुए थे…
कुछ लोगों की हत्या की वजह ये थी कि
उनके कुर्ते लंबे थे
और कुछ लोगों को
अपने पायजामे ऊंचे होने के कारण मरना पड़ा…
कुछ के प्रार्थना का तरीक़ा
हमारे प्रार्थना के तरीक़े से अलग था
इसलिए उन्हें भी मार डाला गया…
कुछ दूसरों की कल्पना
ईश्वर के बारे में हमसे बिल्कुल अलग थी
इसलिए उन्हें भी
ज़िंदा नहीं रहने दिया गया…
लेकिन हमारे द्वारा करी गई सारी हत्याएं
दुनिया की भलाई के लिए थीं…
हमारे पास सभी हत्याओं के वाजिब कारण हैं
आख़िर हम इन सब को न मारते
तो हमारा राष्ट्र, संस्कृति और धर्म कैसे बचता?
फ़ोटो साभार: फ्रीपिक