अदम गोंडवी जनता के कवि माने जाते हैं. उन्होंने हमेशा आम जन के सरोकारों पर अपनी बात बेबाकी से रखी. इस छोटी-सी कविता में भी वे कई गूढ़ बातों को बहुत सहजता से कह गए हैं. रोटी की महक के आगे सब फीका है, उनकी यह बात आज भी भूखे पेट सोने वालों की कड़वी सच्चाई को बयां करती है.
वेद में जिनका हवाला हाशिए पर भी नहीं
वे अभागे आस्था विश्वास लेकर क्या करें
लोक रंजन हो जहां शंबूक वध की आड़ में
उस व्यवस्था का घृणित इतिहास लेकर क्या करें
कितना प्रतिगामी रहा भोगे हुए क्षण का यथार्थ
त्रासदी कुंठा घुटन सन्त्रास लेकर क्या करें
गर्म रोटी की महक पागल बना देती मुझे
पारलौकिक प्यार का मधुमास लेकर क्या करें
किताब: समय से मुठभेड़
कवि: अदम गोंडवी
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
Illustration: Pinterest