जब हमारे हाथ में सैलरी आती है और हमें अपनी ज़रूरतें और इच्छाएं सामने दिखाई देती हैं तो बचत और निवेश की बात दिमाग़ के कहीं पिछले कोने में चली जाती है. कई बार ये ख़्याल कि एकमुश्त बड़ी राशि निवेश करनी होगी,भी आपके मनी मैनेजमेंट को गड़बड़ कर देता है. पर यह भी एक सच्चाई है कि आज किया गया निवेश, कल आपके ही काम आने वाला है. यहां हम बता रहे हैं कि कैसे आप निवेश को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट सकते हैं, ताकि यह आपको बोझ न लगे.
किसी भी वर्ष की शुरुआत में ही यदि आप अपनी कमाई को इन्वेस्ट करने को ले कर डर जाते/जाती हैं कि आपके वेतन की एक बड़ी राशि तो निवेश में ही चली जाएगी… तो ज़रूरत निवेश को रोकने की नहीं, बल्कि अपने नज़रिए को बदलने की है. नज़रिया बदलते ही आपके सोचने और निवेश दोनों का ही अंदाज़ बदल जाएगा. आप अपने निवेश को सालभर के रूप में देखने की बजाय, महीने के छोटे-छोटे हिस्सों या किश्तों के रूप में देखिए. इस हिसाब से देखने और निवेश करने पर आपको अपना इन्वेस्टमेंट बेहतर भी लगेगा और बोझ भी नहीं लगेगा. आइए जानते हैं, कैसे किया जा सकता है ये…
साल का पहला माह: जनवरी
साल का पहला महीना है तो ज़रूरी है कि पिछले साल के ख़र्चों को आधार बना कर आप देख लें कि इस वर्ष आपको कितना ख़र्च करना पड़ेगा. इस ख़र्च में आप हर महीने का राशन, बिजली, पानी, बच्चों की स्कूल फ़ीस, पारिवारिक मनोरंजन और इसी तरह के अन्य सभी ख़र्च शामिल करें. कुछ अतिरिक्त पैसे मेडिकल चेकअप्स के लिए भी रखें. इससे आपके सामने स्पष्ट हो जाएगा कि आपका मासिक ख़र्च लगभग कितना होगा. इसके बाद अपनी बचत या निवेश की योजना का दोबारा आकलन करें. होम लोन है तो यह चेक करें कि आप उस पर कितना ब्याज दे रहे/रही हैं, क्या कुछ राशि प्री-पे कर के आप उस ब्याज पर कुछ बचत कर सकते/सकती हैं. यदि होम लोन के बारे में आप ख़ुद यह न कर पाएं तो किसी फ़ायनांशियल प्लैनर की मदद ले सकते/सकती हैं.
साल का दूसरा माह: फ़रवरी
फ़रवरी वह माह है, जब बजट आता है. अत: इस बात पर ध्यान दें कि बजट में आपके लिए क्या है? हो सकता है कि टैक्स के स्लैब को लेकर बदलाव हुए हों, बचत पर ब्याज में बदलाव हुए हों. यह समझने की कोशिश करें कि इन बातों को आपके घर के बजट और बचत पर क्या असर पड़ेगा. यदि आप ख़ुद इस बात का आकलन करने में नाकाम हैं तो अपने सीए की मदद लेकर यह पता करें, ताकि आपकी बचत बढ़े, उस पर ज़्यादा ब्याज मिले.
बजट के मुताबिक़ आप जनवरी में बनाए गए अपने ख़र्च पर भी दोबारा नज़र डालें और सुनिश्चित कर लें कि यह आपके बनाए हुए बजट के भीतर है या नहीं. यदि न हो तो ज़रूरी बदलाव करें.
यदि आप उन लोगों में से हैं, जो चैरिटी में भरोसा करते/करती हैं तो फ़रवरी सही महीना है, जब आपको किसी संस्था के लिए चैरिटी की राशि देनी चाहिए. इस राशि पर भी आप इनकम टैक्स बचा सकते/सकती हैं.
साल का तीसरा माह: मार्च
मार्च आते ही आपको इस बात का ख़्याल आ जाना चाहिए कि इस माह आपको इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना है. अत: उस तरह के निवेश पर ग़ौर करें, जहां आप टैक्स की बचत का फ़ायदा उठा सकते/सकती हों. मसलन, कोई बीमा पॉलिसी लेना या बकाया किराए का भुगतान या फिर सोसाइटी का मेंटेनेंस. अक्सर मार्च वह महीना होता है, जिसके पहले प्रॉपर्टी टैक्स अदा कर दिया जाना चाहिए, अन्यथा आपको इस पर पैनल्टी देनी पड़ सकती है. आपने पिछले माह चैरिटी के लिए जो भी राशि दी थी, उस पर टैक्स बेनिफ़िट लेना बिल्कुल न भूलिए.
साल का चौथा माह: अप्रैल
इस माह आपका ऑफ़िस आपको अगले वित्तीय वर्ष के निवेश के बारे में बताने को कहेगा. तो आप निवेश की योजना भी इस तरह बनाएं, जो छोटे-छोटे हिस्सों में बंटी हो, मसलन- बीमा पॉलिसी, रेकरिंग डिपॉज़िट, म्यूचुअल फंड्स, पीपीएफ़ या फिर सिप यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लैन. ताकि आप धीरे-धीरे करते हुए पूरे वर्ष की अवधि में अपने निवेश को बांट दें और यह एकमुश्त ज़्यादा भी नज़र ना आए. इसी माह में अधिकतर लोगों के ऑफ़िस में अप्रेज़ल्स भी होते हैं और मई महीना आते-आते आपको बढ़े हुए वेतन के बारे में भी मालूम पड़ता है. अत: अपने सीए से बात कर के इस बात की जानकारी लें कि अब आपको कहीं निवेश करना चाहिए या फिर किसी पुराने लोन को चुकाना चाहिए.
साल का पांचवां माह: मई
इस माह आपको अपने बढ़े हुए वेतन की जानकारी मिल जाएगी. और आपने पहले ही अपने सीए से पूछताछ कर ली होगी कि आपको यह बढ़ी हुई सैलरी कैसे निवेश करनी है. अपने सीए की सलाह के मुताबिक़, आप बढ़ी हुई राशि को सिप या फिर एकमुश्त निवेश में डाल सकते/सकती हैं. चूंकि आपको अपने ख़र्च पहले ही पता हैं, आपको यह करने में कोई परेशानी नहीं होगी. आप चाहें तो किसी लोन को प्री-पे भी कर सकते/सकती हैं, यदि इससे आपको कम ब्याज देना पड़े.
साल का छठवां माह: जून
इस माह आप थोड़ा निश्चिंत हैं तो आने वाले महीने यानी जुलाई की तैयारी कर लें. जुलाई में आपको इस वर्ष का आख़िरी टैक्स रिटर्न फ़ाइल करना होगा. इसके लिए ज़रूरी सभी काग़ज़ इकट्ठा कर लें.
यदि आपके बच्चे हैं तो जुलाई महीने में उनके भी स्कूल खुलेंगें और स्कूल फ़ीस से लेकर किताबें, यूनिफ़ॉर्म, जूते, बस्ते और छाते के ख़र्च की तैयारी पहले से ही कर लें. यदि आपके बच्चे छोटे हैं और पढ़ने नहीं जाते तो इस माह आप थोड़े अतिरिक्त पैसे उनके नाम से जमा कर दें, ताकि जब वे स्कूल जाना शुरू करें तो आपको उनके ख़र्च की फ़िक्र कम रहे.
साल का सांतवां माह: जुलाई
इस माह सबसे पहले तो अपना इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करने को तरजीह दीजिए. इन्हें फ़ाइल करते समय जिन डॉक्यूमेंट्स की ज़रूरत पड़गी उसमें आपका पैन और आधार कार्ड भी होगा. इस बात को ध्यान में रखिए कि ये दोनों कार्ड्स यानी पैन और आधार आपके घर के सभी सदस्यों के लिए बने होने चाहिए. चाहे वे बच्चे हों या फिर ऐसे सदस्य, जिनकी कोई नियमित आमदनी नहीं है. अत: घर में जिनका भी पैन और आधार कार्ड न हो, उसे बनवाने को तवज्जो दें. पैन कार्ड के बिना अपने नाम पर घर या कार ख़रीदना संभव नहीं है. जहां आधार कार्ड आपके निवास का भी प्रूफ़ होता है, वहीं पैन कार्ड आपका पता बदलने पर भी वही रहता है. यदि आपके पास पैन कार्ड नहीं है तो इसके लिए आवेदन करें. हर बड़े फ़ायनांशियल ट्रांसैक्शन के लिए पैन कार्ड का होना ज़रूरी है. इन दिनों पैन कार्ड और आधार कार्ड को लिंक कराना भी अनिवार्य बना दिया गया है. अत: इस माह जांच लें कि आपकी ओर से कहीं कोई डिस्क्रिपेंसी न रह गई हो.
साल का आठवां माह: अगस्त
आपने जनवरी में अपने ख़र्चों का आकलन किया था, जिसे अब सात माह बीत चुके हैं. बहुत ज़रूरी है कि अगस्त में आप इस बात का आकलन करें कि आप अपने बनाए निवेश के रास्ते पर किस तरह चल रहे/रही हैं. कहीं आप उससे भटके तो नहीं? और यदि भटके भी हैं तो यह वक़्त है कि आप उसे सुधार लें. इस बात पर भी ध्यान दें कि अब त्यौहारों और वेकेशन पर जाने का समय पास आ रहा है तो आपके पास कुछ अतिरिक्त पैसे हों, ताकि त्यौहार आपको अपनी जेब पर भारी न महसूस हों.
साल का नवां माह: सितंबर
इस माह अपना पूरा ध्यान उन एयर टिकिट्स और होटल्स की बुकिंग पर लगा दें, जहां आप छुट्टियां बिताने जाना चाहते हैं. यदि यह प्लैन पहले से तैयार होगा तो आप एयर टिकिट्स और होटल बुकिंग्स पर काफ़ी बचत कर पाएंगे/पाएंगी. यदि त्यौहार पर आप अपने पैतृक निवास जाना चाहते/चाहती हैं और वहां ट्रेन कनेक्टिविटी ही है तो पहले ही ट्रेन बुकिंग्स करा लें. अन्यथा रिज़र्वेशन मिलने में दिक़्क़त आ सकती है.
साल का दसवां माह: अक्टूबर
इस माह अपने फ़ायनांशियल ऐड्वाइज़र के साथ मिल कर अपने निवेश पोर्टफ़ोलियो का विश्लेषण करें. यदि कोई क्षेत्र ऐसा है, जहां निवेश में आपको घाटा हुआ हो तो अपने निवेश को दूसरी जगह शिफ़्ट करें. त्यौहारों के दौरान यदि घर या कार लेने की योजना है तो यह देख लें कि कहां से पैसा निकालना सही होगा, जिसमें आपको ज़्यादा लॉस न हो. इस तरह आप बड़े निवेश के लिए सही फ़ैसला ले सकेंगे/सकेंगी.
साल का ग्यारहवां माह: नवंबर
यह वह समय है, जब कई लोगों को बोनस का भुगतान होता है. तो यह सुनिश्चित करें कि इस पैसे को कहां निवेश करना है? आप चाहें तो घर या कार लेने के प्लैन में भी इसे शामिल कर सकते हैं. या फिर साल में एक बार कोई सेफ़ेस्ट इन्वेस्टमेंट के तौर पर इसकी एफ़ डी भी करवा सकते/सकती हैं. साल का आख़िरी महीना आने को है ऐसे में रिटायरमेंट प्लैन के बारे में सोचना भी बनता है. आप चाहें तो इस राशि को एक मुश्त किसी अच्छे रिटायरमेंट प्लैन में भी लगा सकते/सकती हैं. यह आपके उस भविष्य की तैयारी के लिए के लिए निवेश होगा, जो एक न एक दिन सभी के जीवन में आता है.
साल का बारहवां महीना: दिसंबर
यदि अब तक आपने ऊपर बताई गई बातों पर अमल किया है तो आपका इन्वेस्टमेंट अच्छी स्थिति में होगा. लेकिन समय कभी बता कर नहीं आता अत: अपने और अपने परिजनों की देखभाल के लिए साल के आख़िरी महीने में अपनी वसीयत बनाने या फिर उसमें फेर बदल करने का काम करें. यदि आपने वसीयत नहीं बनाई है तो अपने वक़ील से बात कर इसे बनवाएं. याद रखें, यह वह क़दम है, जो आपके बाद (ईश्वर आपको लंबी उम्र बख़्शे!) आपके अपनों को उस निवेश को अपनी गुज़र-बसर के लिए इस्तेमाल करने की राह आसान करेगा, जो आपने उनको ध्यान में रख कर ही किया था. इस वसीयत की एक कॉपी अपने वक़ील को दें और दूसरी कॉपी को जहां भी रखें, उसकी जानकारी घर के सदस्यों को ज़रूर दें.
फ़ोटो : फ्रीपिक