सफ़दर हाशमी एक कम्युनिस्ट नाटककार, कलाकार, निर्देशक, गीतकार और कलाविद थे, जिन्हें नुक्कड़ नाटक के साथ उनके जुड़ाव के लिए जाना जाता है. भारत के थिएटर में आज भी वे एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. यहां प्रस्तुत उनकी कविता शिक्षा के महत्व को उजगार करती है और समाज में सभी लोगों को पढ़-लिखकर अपना हक़ मांगने के लिए जागरूक करती है.
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालों
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
ओ सड़क बनाने वालों, ओ भवन उठाने वालों
ख़ुद अपनी किस्मत का फ़ैसला अगर तुम्हें करना है
ओ बोझा ढोने वालों ओ रेल चलने वालों
अगर देश की बागडोर को कब्ज़े में करना है
क ख ग घ को पहचानो
अलिफ़ को पढ़ना सीखो
अ आ इ ई को हथियार
बनाकर लड़ना सीखो
पूछो, मज़दूरी की ख़ातिर लोग भटकते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी सूखी रोटी गिद्ध लपकते क्यों हैं?
पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं?
पढ़ो, तुम्हारी मेहनत का फल सेठ गटकते क्यों हैं?
पढ़ो, लिखा है दीवारों पर मेहनतकश का नारा
पढ़ो, पोस्टर क्या कहता है, वो भी दोस्त तुम्हारा
पढ़ो, अगर अंधे विश्वासों से पाना छुटकारा
पढ़ो, किताबें कहती हैं – सारा संसार तुम्हारा
पढ़ो, कि हर मेहनतकश को उसका हक़ दिलवाना है
पढ़ो, अगर इस देश को अपने ढंग से चलवाना है
पढ़ना-लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों
पढ़ना-लिखना सीखो ओ भूख से मरने वालों
फ़ोटो साभार: फ्रीपिक