पाकिस्तानी शायर तहज़ीब हाफ़ी की ग़ज़ल ‘पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊंगा’ ख़ुद से किए जानेवाले वादों की फ़ेहरिस्त है. आख़िरी शेर में प्रख्यात शायर सरवत हुसैन की ट्रेन दुर्घटना का उल्लेख है.
पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊंगा
मैं भीग जाऊंगा छतरी नहीं बनाऊंगा
अगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दिया
अलम बनाऊंगा बर्छी नहीं बनाऊंगा
फ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूं लेकिन
मैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊंगा
गली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूं
नए मकान में खिड़की नहीं बनाऊंगा
मैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊं
तो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊंगा
तुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुख
मैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊंगा
मैं एक फ़िल्म बनाऊंगा अपने ‘सरवत’ पर
और इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊंगा
Illustration: Pinterest