हम भारतीय अपने पुरुषत्व को लेकर कितने सजग रहते हैं, पंकज चतुर्वेदी की यह कविता बिना दिल के होते जा रहे समाज पर तगड़ा प्रहार करती है.
मोबाइल आप कहां रखेंगे?
कमीज़ के बाईं ओर
ऊपर जेब में?
तो दिल को ख़तरा है
कान से लगाकर रोज़ाना
ज़्यादा बाद करेंगे
तो कुछ बरसों में
आंशिक बहरापन
आ सकता है
सिर के पास रखने से
ब्रेन ट्यूमर का अंदेशा है
टेलीकॉम कम्पनियों के
बेस स्टेशनों के
एंटीना से निकलती ऊर्जा
कोशिकाओं का तापमान बढ़ाती है
बड़ों की बनिस्पत बच्चे इससे
अधिक प्रभावित होते हैं
मोबाइल के ज़्यादा इस्तेमाल से
याददाश्त और दिशा-ज्ञान सरीखी
दिमाग़ी गतिविधियों पर
व्यवहार पर
बुरा असर पड़ता है
ल्यूकेमिया जैसी ख़ून की बीमारी
हो सकती है
इसलिए डॉक्टर कहते हैं
कुछ घंटे मोबाइल को
पूरे शरीर से ही
दूर रखने की आदत डालें
और अगर पैंट की जेब में रखेंगे
तो पुरुषत्व जा सकता है
इस पर एक उच्च-स्तरीय भारतीय संस्थान में
कुछ बुद्धिजीवी
अपने एक सहधर्मी के सुझाव से
सहमत और गद्गद थे
कि दिल भले जाए
हम तो पुरुषत्व को बचाएंगे
इस तरह मैंने जाना
पुरुषत्व एक उम्मीद है समाज की
जिसके पास दिल नहीं रहा
कवि: पंकज चतुर्वेदी
कविता संग्रह: रक्तचाप और अन्य कविताएं
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
Illustration: Pinterest
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