पत्रकार-कवि प्रताप सोमवंशी की ग़ज़लनुमा कविताएं छोटी होती हैं, पर उनकी मारक क्षमता ग़ज़ब की होती है. उनके कविता संग्रह इतवार छोटा पड़ गया की यह कविता ‘राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था’ में उन्होंने राम और रावण का रूपक लेकर मौजूदा दौर के दोहरे चरित्र का चित्र खींचने की कोशिश की है.
राम तुम्हारे युग का रावण अच्छा था
दस के दस चेहरे सब बाहर रखता था
दुख दे कर ही चैन कहां था ज़ालिम को
टूट पड़ा था चेहरे पर वो पढ़ता था
शाम ढले ये टीस तो भीतर उठती है
मेरा ख़ुद से हर इक वा’दा झूटा था
ये भी था कि दिल को कितना समझा लो
बात ग़लत होती थी तो वो लड़ता था
मेरे दौर को कुछ यूं लिक्खा जाएगा
राजा का किरदार बहुत ही बौना था
कवि: प्रताप सोमवंशी
कविता संग्रह: इतवार छोटा पड़ गया
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
Illustration: Pinterest