हम एक ऐसे राष्ट्र हैं, जिसने अपने पिता की हत्या की. पर हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी मरने के बाद भी नहीं मरे.
राष्ट्र
तुमसे नफ़रत करता है
राष्ट्रपिता!
नफ़रत भी करता है
और तुम्हारी समाधि पर
फूल भी चढ़ाता है
विवशता देखिए
कि अपमान भी करता है
और सम्मान का दिखावा भी
बड़ी सांसत में है
कि मरने के
तिहत्तर साल बाद भी
तुम जीवित कैसे हो
तुम्हारा ज़िंदा रहना
राष्ट्र के लिए
ख़तरनाक है
राष्ट्रपिता!
तुम मरने से पहले भी
राष्ट्रद्रोही थे
और मरने के बाद भी
कभी किसानों को
भड़काते हो
तो कभी मज़दूरों को
कभी आदिवासियों को
खड़ा करते हो
राष्ट्र के विरुद्ध
इसलिए
हर वह विचार
प्रत्येक संस्कार
जो तुमसे जुड़ा है
घातक है राष्ट्र के लिए
सुनियोजित ढंग से
जड़समूल
तुम्हारे विनाश की
तैयारियां चल रही हैं
जो धर्म
तुम्हारी आत्मा था
वह कमर कस चुका है
तुम्हारे विध्वंस को
जो भ्रम पाले हैं
तुम्हें जानने का और
जो नितांत अनभिज्ञ है
सभी त्रस्त हैं तुमसे
क्योंकि जब तक तुम हो
एक व्यक्ति
एक विचार
एक संघ
राष्ट्र नही हो सकता
इसीलिए
यह एक राष्ट्र तुमसे
सख़्त नफ़रत करता है
राष्ट्रपिता!
और तुम हो कि
मुस्कुराए जा रहे हो
बच्चों की तरह
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