क्या आप जो ख़रीद रहे हैं, जो बनना चाह रहे हैं, वह आपका अपना निर्धारित लक्ष्य है? या किसी चालक सेल्समैन या कंपनी द्वारा आपके दिमाग़ में डाला गया सपना है? एक छोटे-से यूट्यूब वीडियो का ज़िक्र करके हमारे अपने चिकित्सक और दार्शनिक डॉ अबरार मुल्तानी रिऐलिटी चेक करा रहे हैं.
मैं एक दिन यूट्यूब पर फ़िल्मों के कॉमेडी सीन्स देख रहा था. उसमें एक दिलचस्प सीन था जिसमें गॉर्ड बने हुए राजपाल यादव को एक चादर बेचने वाला चादर बेचता है. वह उन्हें पहले कुछ सस्ती चादर दिखाता है. कुछ चादर देख लेने के बाद राजपाल यादव उस चादर वाले से कहते हैं कि यह वाली चादर बताओ, यह कितने की है? चादर बेचने वाला कहता है कि यह चादर मत देखो यह चादर आप नहीं ले पाओगे, यह आपकी औकात से बाहर की है. राजपाल यादव को ग़ुस्सा आता है और वह उस चादर बेचने वाले को कुछ भला बुरा कहते हुए ग़ुस्से-ग़ुस्से में जेब से पैसे निकाल कर उसे देने वाले होते हैं कि उनका दोस्त आकर उन्हें समझता है कि यह इसकी चादर बेचने की एक ट्रिक है, यह लोगों से कहता है कि यह चादर ख़रीदना तुम्हारी औकात से बाहर है और लोग इसकी यह सस्ती चादर महंगे दामों पर ख़रीद लेते हैं.
तो आपने क्या सीखा, इस बेचने-ख़रीदने के खेल से?
यह बात सच है कि जब भी हमें किसी बात के लिए चैलेंज किया जाता है तो हम उस चैलेंज को स्वीकार करके उसे अपना लक्ष्य बनाना शुरू कर देते हैं. हम अपने बहुत पुरानी यादों के सफ़र पर जाएं तो हम ऐसी कई चीज़ों को ख़रीद चुके होंगे जिन्हें किसी ने कहा होगा कि यह तुम्हारे बस की नहीं है या तुम इस लायक नहीं हो. या हमें किसी महंगी चीज़ से दूर रहने को या हाथ न लगाने को कहा होगा और हम जाने अनजाने ही उस जैसी कई चीज़ें अब तक ख़रीद चुके होंगे.
किसी ने आपको समय पर मोटरसाइकिल नहीं दी थी तो आपका दिमाग़ मोटरसाइकिल ख़रीदने के लक्ष्य को आपको बताएं बिना ही निर्धारित कर चुका था और आपने वह मोटरसाइकिल ईएमआई पर या उधारी पर ले ली होगी. किसी ने आपको कार में नहीं बिठाया होगा या कार से ज़लील करके नीचे उतार दिया होगा तो आपने उस वक़्त कार ख़रीदना ही है यह ठान लिया होगा. हम असल में कई ऐसे बेवजह के लक्ष्यों में उलझ जाते हैं जिन्हें कोई अन्य व्यक्ति हमारे मन में डाल देता है. यह चीज़ कोई हमारे मन में अनचाहे डालता है तो कोई चतुर चालाक व्यक्ति या संस्था इसे हमारे मन में बहुत ही प्लानिंग के साथ बैठा देती हैं. किसी विज्ञापन में हमें बताया जाता है कि यह चीज़ हाई क्लास लोगों के लिए है और हम मान लेते हैं कि हां, यह चीज़ हाई क्लास लोगों के लिए है और हमें यह लेना है, लोगों को यह दिखाने के लिए की हम हाई क्लास के लोग हैं. हमारी यह मनोवृत्ति हमें बहुत नुक़सान पहुंचाती रहती है. इसमें हमें झूठी सफलता दिखती है. हम दूसरों के द्वारा बताए गए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपना अमूल्य समय और अपनी मेहनत से कमाई हुई संपत्ति को बर्बाद ना करें. हम अपना लक्ष्य ख़ुद तय करें, हम तय करें कि हमें क्या बनना है, हमें कैसा बनना है. हमें क्या ख़रीदना है और क्या नहीं यह कोई और तय करे यह कैसे बेहतर हो सकता है? बेहतर तो वह है जो हम ख़ुद सोच समझकर हमारे लिए तय करें.