भरोसा, प्यार, वफ़ा, बेवफ़ाई को एक साथ आवाज़ देती बशीर बद्र की ग़ज़ल ‘सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा’ कई फ़लसफ़े अपने अंदर समेटे हुए है.
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
इतना मत चाहो उसे, वो बेवफ़ा हो जाएगा
हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जाएगा
कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िन्दगी ने कह दिया
तू नहीं मेरा, तो कोई दूसरा हो जाएगा
मैं ख़ुदा का नाम लेकर पी रहा हूं दोस्तों
ज़हर भी इसमें अगर होगा, दवा हो जाएगा
सब उसी के हैं हवा, ख़ुश्बू, ज़मीनो-आसमां
मैं जहां भी जाऊंगा, उसको पता हो जाएगा
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