मुस्लिम पंथ दाऊदी बोहरा अपने बिज़नेस माइंडसेट के अलावा खानपान के लिए भी जाना जाता है. हमने इसके खानपान से जुड़ी आदतों और ख़ासियतों के बारे में जानने की कोशिश की द बोहरी किचन के मुनाफ़ कपाड़िया से.
मुंबई के मुनाफ़ कपाड़िया अपनी मां नफ़ीसा के साथ दिसंबर 2014 से द बोहरी किचन के माध्यम से दाऊदी बोहरा समुदाय के खानपान को नई पहचान देने में जुटे हुए हैं. द बोहरी किचन में नफ़ीसा हेड शेफ़ हैं और मुनाफ़ सीईओ यानी चीफ़ ईटिंग ऑफ़िसर. मां-बेटे की यह जोड़ी लोगों को अपने घर बुलाती है और बोहरा समुदाय के पारंपरिक तरीक़े के अनुसार थाल पर खाना परोसती है. मुनाफ़ ने हमें चर्चित दाऊदी बोहरा खानपान की कहानी सुनाई.
दाऊदी बोहरा खानपान
मुनाफ़ की मानें तो चूंकि भारत में बोहरा समुदाय पहले गुजरात में आकर सेटल हुआ था इसलिए उनके खानपान पर गुजरात का काफ़ी असर दिखता है. स्मोक्ड मटन कीमा समोसा, रान, मलाई खाजा ये सब ख़ास बोहरी आइटम्स हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय में खाना एक थाल (बड़ी-सी थाली) में खाते हैं. थाल को ज़मीन से थोड़ा-सा ऊपर रखते हैं और उसके चारों ओर बैठकर खाते हैं. एक थाल में छह से दस लोग तक खा सकते हैं. आप बोहरा समुदाय की शादियों में जाएंगे तो बहुत संभव है कि ऐसा हो, आपको बिल्कुल अजनबी लोगों से थाल शेयर करनी पड़े. थाल में खाने का सिस्टम कुछ इसलिए भी प्रचलन में आया कि बोहरा समुदाय के लोग मूल रूप से यमन से आए हैं. यमन एक रेगिस्तानी देश है. वहां लोग ज़मीन पर बैठकर खाने की थाल को घेरकर खाना खाते थे, ताकि खाने में रेत उड़कर न आने पाए. बोहरा समुदाय में खाने की शुरुआत नमक टेस्ट करने से होती है. माना जाता है कि नमक से आपकी थाली साफ़ हो जाती है और नमक हमारे टेस्ट बड्स को भी ऐक्टिवेट कर देता है. बोहरा खानपान में खाना परोसने के क्रम की भी अपनी ख़ासियत है. खारास-मिठास सिस्टम फ़ॉलो किया जाता है. नमकीन और मीठे डिशेज़ का एक ख़ास क्रम होता है. एक-दो डिश के बाद स्वीट डिश सर्व करते हैं. मुनाफ़ कपाड़िया कहते हैं,“लोगों को लगता है कि हम सिर्फ़ नॉनवेज खाते हैं, पर हमारी पसंदीदा डिश वेजेटेरियन है, जिसका नाम है दाल चावल पलीदा. बोहरा समुदाय का कोई भी सेलिब्रेशन हो इसके बिना पूरा नहीं हो सकता.”