• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

बीवी छुट्टी पर: एक अकेले आदमी की कहानी (लेखक: आरके नारायण)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
September 19, 2021
in क्लासिक कहानियां, बुक क्लब
A A
बीवी छुट्टी पर: एक अकेले आदमी की कहानी (लेखक: आरके नारायण)
Share on FacebookShare on Twitter

क्या होता है जब एक आदमी की बीवी कुछ दिनों के लिए मायके जाती है? पढ़ें, आरके नारायण की मालगुड़ी डेज़ की कहानियों में से एक और दिलचस्प कहानी ‘बीवी छुट्टी पर’.

कन्नन अपनी झोंपड़ी के दरवाजे पर बैठा गांव के लोगों को आते-जाते देख रहा था. तेली सामी अपने बैल को हांकता सड़क से गुज़रा. उसे देखकर बोला,‘‘आज आराम करने का दिन है? तो शाम को मंटपम में आ जाना.’’ कई और लोग गुज़रे लेकिन कन्नन ने किसी की ओर ध्यान नहीं दिया. तेली की बात सुनकर वह विचारों में खो-सा गया. मंटपम टैंक बंद पर पुराने ज़माने की खंभेदार जगह थी, जो अब जगह-जगह से टूट रही थी. अब कन्नन और उसके साथियों के लिए यह क्लब की तरह बन गई थी. कभी-कभी शाम को वे यहां इकट्ठे होते और डटकर चौपड़ खेलते. कन्नन को न सिर्फ़ यह खेल पसंद था बल्कि इसकी सुगंध और टूटी हुई मीनारों के बीच से दिखायी देती पहाड़ियां भी बहुत अच्छी लगती थीं. मंटपम के बारे में सोचते हुए वह कुछ गुनगुनाने भी लगा.
वह जानता था कि उसे इस तरह बैठे देखकर लोग उसे आलसी समझते होंगे. लेकिन उसे परवाह नहीं थी. वह काम करने नहीं जाएगा. उसे घर से बाहर भेजने वाला अब नहीं था-उसकी बीवी अभी नहीं लौटी थी. उसने कुछ दिन पहले मन में चुपचाप ख़ुश होते हुए उसे मायके जाने के लिए बैलगाड़ी पर बिठाया था. उसे उम्मीद थी कि उसके मां-बाप उसे दस-पंद्रह दिन और रुकने को कहेंगे, हालांकि अपने छोटे बेटे की अनुपस्थिति उसे अच्छी नहीं लगती थी. लेकिन कन्नन इसे बीवी के न होने की ख़ुशी की क़ीमत के रूप में ले रहा था. उसने सोचा,‘अगर वह यहां होती तो क्या मुझे इस तरह आराम करने देती?’ उसे हर रोज़ एक रुपया कमाने के लिए नारियल के पेड़ों पर चढ़ना होता, उनके ऊपर लगे कीड़े-मकोड़े साफ़ करने पड़ते, नारियल तोड़-तोड़कर नीचे गिराने पड़ते और कंजूस ठेकेदारों से पैसों के लिए लड़ना-झगड़ना पड़ता.
अब वह बीवी के न होने का पूरा लाभ उठाने के लिए दिनभर घर पर पड़ा आराम करता रहता था. लेकिन अब यह हालत हो गई थी कि उसके पास एक पैसा भी नहीं बचा था और पैसे के लिए आज ही उसे पेड़ों पर चढ़ना ज़रूरी हो गया था. उसने अपने हाथ और पैर फैलाए और सोचने लगा कि अब उसे पेड़ों पर चढ़ना कैसा लगेगा! वास्तव में बड़े घर के पीछे लगे दसों पेड़ अब देखभाल की मांग कर रहे थे और जल्द-से-जल्द यह काम करना चाहिए था.
लेकिन यह संभव नहीं था. उसके पैर और हाथ कड़े पड़ गये थे और मंटपम जाने के लायक ही रह गये थे. लेकिन वहां ख़ाली हाथ जाना भी सही नहीं था. अगर उसके पास एक चवन्नी भी होती तो वह शाम को उससे एक रुपया बनाकर ला सकता था. लेकिन यह औरत. उसे अपनी बीवी पर ग़ुस्सा आने लगा, जो यह नहीं समझती थी कि अपनी मेहनत की कमाई में से वह एक आना भी रखने का अधिकारी है. उसके पास एक चवन्नी भी न थी, जिसे वह अपनी कह सकता. वह सालों से कमाई के लिए खटता रहा था, जब से ख़ैर, उसने इसके बारे में सोचना बंद कर दिया, क्योंकि इसमें उसे गिनती में उलझना पड़ता था और चौपड़ की गिनतियों के अलावा उसे कोई गिनती समझ में नहीं आती थी.
तभी उसे कुछ सूझा और वह उठकर घर में चला गया. कोने में एक बड़ा टिन का बक्स रखा था जिसे कई साल पहने उसने काले रंग से रंगा था-यही घर की सबसे महत्वपूर्ण वस्तु थी. बक्स उसकी बीवी का था. वह उसके सामने बैठ गया और उसे खोलने लगा. उसका ताला बहुत मज़बूत था, सख़्त लोहे का बना, जिसके किनारे भी बहुत तीखे थे. उसने ताला पकड़कर अपनी तरफ़ खींचा, और ताजुब है कि वह अपने आप खुल गया. ‘ईश्वर मुझ पर बहुत मेहरबान है,’ यह सोचकर उसने बक्से का ढक्कन उठाया. इसमें बीवी की क़ीमती चीज़ें रखी थीं: कुछ जैकेट और दो-तीन साड़ियां जिनमें से एक उसने उसे शादी के समय ख़ुद भेंट में दी थी. उसे ताज्जुब हुआ कि इसे उसने अभी तक संभालकर रखा है. हालांकि यहां यह गिनती की समस्या फिर सामने आ जाने से वह यहीं रुक गया. ‘उसने इसे इसलिए इतना संभालकर रखा है, क्योंकि वह अच्छी चीज़ के इस्तेमाल में बहुत कंजूस है.’ यह सोचकर वह हंसा.
फिर कपड़े उसने नीचे रख दिए और लकड़ी के उस डिब्बे की तलाश करने लगा जिसमें वह पैसा रखती थी. डिब्बा बिलकुल ख़ाली था सिर्फ़ एक पैसे के, जो भाग्य के लिए रखा गया था. ‘कहां गया उसका सारा पैसा!’ उसने ग़ुस्से में भरकर सोचा. ‘वह अपने भाई या किसी और के लिए सारा पैसा निकालकर ले गई होगी. मैं यहां दिन भर मेहनत करता हूं उसके भाई के लिए? अगली दफ़ा भाई दिखायी दिया तो मैं उसकी गर्दन मरोड़ दूंगा.’ यह सोचकर उसे बहुत संतोष हुआ.
बक्से की और तलाशी लेते हुए उसे कोने में रखा एक सिगरेट का टिन हाथ लगा. उसे हिलाया तो भीतर रखे सिक्के बजने लगे. यह डिब्बा देखकर उसे बहुत अच्छा लगा-यह लाल टिन उसके बच्चे का था. उसे याद आया कि कैसे एक दिन उसका बेटा यात्रियों के बंगले के पीछे कूड़े के ढेर से इसे ढूंढ़कर लाया था-छाती में छिपाकर दौड़ते हुए आकर उसे यह दिखाया था. पहले तो वह दिन भर इस टिन के साथ सड़क पर खेलता रहा, इसमें बालू भरता, फिर फेंक देता, फिर भरताा फिर कन्नन ने उससे कहा कि,‘लाओ, इसकी गुल्लक बना देते हैं जिसमें तुम पैसे जमा करना.’ पहले तो लड़का इसके लिए तैयार नहीं हुआ. जब कन्नन ने बड़े विस्तार से गुल्लक में पैसे रखने के फ़ायदे समझाए, तो वह मान गया, और एकदम बना देने की ज़िद करने लगा. बोला,‘जब यह पैसों से भर जाएगी तो मैं बड़े घर के लड़के के पास जैसी मोटर है, वैसी ही मैं भी ख़रीदूंगा, मुंह से बजाने वाला बाजा लूगा और एक हरी पेंसिल…’ बेटे की योजना सुनकर कन्नन जोर से हंसा. वह लुहार के पास डिब्बा ले गया, उसका मुंह बंद करवाकर उसमें पैसे डालने लायक एक छेद बनवा दिया. अब यह लड़के की सबसे ख़ास चीज़ हो गई और वह अक्सर इसे बाप के सामने रखकर पैसा डलवा लेता. अक्सर वह पिता से पूछता,‘अब पूरा भर गया है क्या? मैं इसे कब खोल सकूंगा?’ इसे वह अपनी मां के बक्से में साड़ियों की तह के भीतर अच्छी तरह छिपा कर रखता और देखता कि बक्से का ताला अच्छी तरह बंद कर दिया गया है या नहीं. उसे देखकर मन अक्सर कहता,‘बहुत समझदार लड़का है. यह बड़े काम करेगा. मैं इसे शहर के स्कूल में पढ़ने भेजूंगा.’अब कन्नन ने डिब्बा उठाया और उसे हिलाकर जानने की कोशिश की कि उसमें कितना पैसा होगा. बीवी के ख़िलाफ़ भावना होने के कारण अचानक उसे एक नया विचार आया. उसने कोशिश की कि डिब्बे से पैसे बाहर निकाले, लेकिन एक भी पैसा बाहर नहीं आया. लुहार ने उसका छेद बड़ी कुशलता से इतना ही बड़ा बनाया था कि सिक्का भीतर तो चला जाए, बाहर न आ सके. दुनिया की कोई भी शक्ति अब पैसे बाहर नहीं निकाल सकती थी. एक मिनट बाद वह डिब्बा हिलाना रोककर सोचने लगा,‘अपने बेटे की गुल्लक से पैसे निकालकर क्या वह ठीक कर रहा है?’ मन में ही जवाब आया,‘क्यों नहीं? बाप और बेटा एक नहीं होते क्या? यही नहीं, मैं तो यह रकम दुगनी-तिगुनी करने जा रहा हूं जिसे बाद में इसी में रख दूंगा. इस तरह मैं डिब्बा खोलकर बेटे का भला ही कर रहा हूं.’फ़ैसला हो गया. वह चारों तरफ़ देखने लगा कि कोई ऐसी चीज़ मिल जाए जिससे छेद को बड़ा किया जा सके. उसने बेकार पड़ी बहुत-सी चीज़ों का डिब्बा ढूंढ़ डाला-बोतल, डाट, जूते का तला, रस्सी वगैरह, लेकिन कोई नुकीली चीज़ उसे न मिली. चाकू कहां चला गया? उसे बीवी पर फिर ग़ुस्सा आया, औरतें क्यों हर चीज़ को छुपाकर रखती हैं? हो सकता है वह चाकू भी भाई के लिए ले गई हो! डिब्बा लेकर वह उसे ज़मीन पर ज़ोर-ज़ोर से पटकने लगा. इससे वह तुड़मुड़ तो गया, उसकी शक्ल ख़राब हो गई लेकिन पैसा बाहर नहीं आया.
उसने इधर-उधर देखा. दीवाल पर एक कील के सहारे देवता की मढ़ी हुई तस्वीर टंगी थी. तस्वीर उतारकर उसने कील बाहर निकाल ली. ज़मीन पर पड़े देवता को देखकर उसका मन ख़राब हुआ और उसने झुककर उसके पैरों पर सिर लगाया. फिर उसने एक पत्थर उठाया और कील डिब्बे के छेद पर रखकर उसे ठोंकने लगा. कील फिसल गयीं और पत्थर उसके अंगूठे पर जा पड़ा. अंगूठा दब कर नीला पड़ गया और दर्द से वह चीख उठा. डिब्बा ज़मीन पर फेंक दिया. डिब्बा कोने में पड़ा उसे चिढ़कर देखने लगा. ‘कुत्ते!’ उसने फुसफुसाकर कहा और फिर अंगूठा पकड़कर कराहने लगा. फिर बोला,‘अब मैं तुमसे ज़रूर निबटुंगा.’वह रसोई में गया और वहां से पत्थर की बड़ी मुसली दोनों हाथों से सिर पर उठाकर लाया, फिर उसे डिब्बे पर ज़ोर से दे मारा. डिब्बा पिचककर दोहरा हो गया और फट भी गया. उसने भीतर से पैसे निकाले और भूखे की तरह उन्हें गिनने लगा-कुल छह आने और तीन पैसे के सिक्के थे. पैसे उसने धोती की कमर में कसकर बांधे और बाहर निकल आया.
मंटपम में भाग्य ने उसका साथ नहीं दिया, कहें कि पास ही नहीं फटका. थोड़ी ही देर में वह सारे पैसे हार गया. इसके बाद कुछ देर वह उधार पर खेलता रहा, लेकिन दूसरों ने कहा कि वह हट जाए और पैसे वाले को खेलने दे. वह उठकर बाहर निकल आया और घर लौट चला-सूरज अभी डूबा नहीं था.
जब वह गली में घुसा, उसने देखा कि सामने से उसकी बीवी सिर पर पोटली रखे और हाथ से बेटे को पकड़े चली आ रही है. कन्नन सहम उठा. ‘यह सपना भी हो सकता है?’ उसने सोचा और ध्यान से देखा. बीवी पास आ गई थी, बोली,‘बस आ रही थी, मैंने सोचा कि घर लौट चलें.’ वह दरवाज़े की ओर बढ़ने लगी. कन्नन डरकर देखने लगा, उसका बक्स भीतर खुला पड़ा था, सामान बिखरा हुआ, ज़मीन पर भगवान् की तस्वीर और बेटे का डिब्बा टूटा हुआ-घर में पैर रखते ही उसे यह सब दिखाई देगा.
स्थिति निराशाजनक थी. उसने मशीन की तरह दरवाज़ा खोला. ‘तुम इस तरह क्यों देख रहे हो?’ बीवी ने पूछा और भीतर चली. बेटे ने दो पैसे निकालकर उसे दिये,‘चाचा ने मुझे दिए हैं. इन्हें भी गुल्लक में रख देंगे.’कन्नन ने परेशानी की चीख मारी. लड़के ने पूछा,‘आप यह क्या कर रहे हैं?’ कन्नन ने अपना नीला अंगूठा दिखाकर कहा,‘बड़ी चोट लग गई आज, और कोई बात नहीं,” और उनके पीछे, अब क्या होगा, सोचते हुए घर में घुसने लगा.

Illustration: RK Laxman @Pinterest

इन्हें भीपढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

फ़िक्शन अफ़लातून#14 मैं हार गई (लेखिका: मीता जोशी)

March 22, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

फ़िक्शन अफ़लातून#13 लेकिन कैसे कह दूं इंतज़ार नहीं… (लेखिका: पद्मा अग्रवाल)

March 20, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

फ़िक्शन अफ़लातून#12 दिखावा या प्यार? (लेखिका: शरनजीत कौर)

March 18, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

फ़िक्शन अफ़लातून#11 भरा पूरा परिवार (लेखिका: पूजा भारद्वाज)

March 18, 2023
Tags: Biwi Chutti ParEnglish writersFamous writers storyHindi KahaniHindi StoryHindi writersIndian English writersKahaniMalgudi daysRK NarayanRK Narayan ki kahaniRK Narayan ki kahani Biwi Chutti ParRK Narayan Malgudi daysRK Narayan StoriesWife’s Holiday by RK NarayanWife’s Holiday by RK Narayan in Hindiआरके नारायणआरके नारायण की कहानियांआरके नारायण की कहानीआरके नारायण की कहानी बीवी छुट्टी परआरके नारायण मालगुड़ी डेज़कहानीबीवी छुट्टी परमशहूर लेखकों की कहानीमालगुड़ी की कहानियां हिंदीमालगुड़ी डेज़वाइफ़्स हॉलीडे आरके नारायण हिंदी मेंहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#10 द्वंद्व (लेखिका: संयुक्ता त्यागी)

March 17, 2023
फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)
ज़रूर पढ़ें

फ़िक्शन अफ़लातून#9 सेल्फ़ी (लेखिका: डॉ अनिता राठौर मंजरी)

March 16, 2023
Dr-Sangeeta-Jha_Poem
कविताएं

बोलती हुई औरतें: डॉ संगीता झा की कविता

March 14, 2023
Facebook Twitter Instagram Youtube
ओए अफ़लातून

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • टीम अफ़लातून

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist