• होम पेज
  • टीम अफ़लातून
No Result
View All Result
डोनेट
ओए अफ़लातून
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक
ओए अफ़लातून
Home बुक क्लब क्लासिक कहानियां

फूल का मूल्य: बेशक़ीमती श्रद्धा की कहानी (लेखक: रबिंद्रनाथ टैगोर)

टीम अफ़लातून by टीम अफ़लातून
October 24, 2023
in क्लासिक कहानियां, ज़रूर पढ़ें, बुक क्लब
A A
फूल का मूल्य: बेशक़ीमती श्रद्धा की कहानी (लेखक: रबिंद्रनाथ टैगोर)
Share on FacebookShare on Twitter

रबिन्द्रनाथ टैगोर की यह लघुकथा लौकिक और अलौकिक सुख और इच्छाओं की बड़े ही संक्षेप में क्या अद्भुत व्याख्या करती है.

शीतकाल के दिन थे. शीतकाल की प्रचंडता के कारण पौधे पुष्पविहीन थे. वन-उपवन में उदासी छाई हुई थी. फूलों के अभाव में पौधे श्रीहीन दिखाई दे रहे थे.
ऐसे उदास वातावरण में एक सरोवर के मध्य कमल का फूल खिला हुआ देखकर उसका माली प्रसन्‍न हो उठा. उस माली का नाम सुदास था. ऐसा सुंदर फूल तो कभी उसके सरोवर में खिला ही नहीं था. सुदास उस फूल की सुंदरता पर मुग्ध हो उठा. उसने सोचा कि मैं यदि यह पुष्प राजा साहब के पास लेकर जाऊंगा, तो वह प्रसन्न हो उठेंगे. राजा साहब पुष्पों की सुंदरता के दीवाने थे. इस शीतकाल में जब पुष्पों का अभाव है, तब इतना सुंदर पुष्प देखकर उसे इसका मनचाहा मूल्य मिलने की उम्मीद थी.
उसी समय एक शीत लहर आई. सुदास को लगा कि यह पवन भी कमल के खिलने पर अपनी प्रसन्नता प्रकट कर रही है. माली को यह सब शुभ लक्षण लगे.
***
वह सहस्त्रदल कमल के फूल को देखकर मन-ही-मन फूला नहीं समा रहा था. वह उस फूल को लेकर राजमहल की ओर चल पड़ा. वह मनचाहे पुरस्कार की कामना में डूबा हुआ था. राजमहल पहुंचकर उसने राजा को समाचार भिजवाया. वह विचारमग्न था कि अभी उसे राजा बुलाएंगे. राजा इस सुंदर पुष्प को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो उठेंगे. अच्छे मूल्य की अभिलाषा में वह यत्नपूर्वक उस पुष्प को पकड़े हुए उसे प्रेमपूर्वक निहार रहा था.
राजमहल के बाहर खड़ा वह राजा द्वारा बुलाए जाने की प्रतीक्षा कर ही रहा था कि तभी राजपथ पर जाता हुआ एक सभ्य पुरुष कमल के फूल की सुंदरता पर मुग्ध होकर सुदास के पास आकर पूछने लगा,“फूल बेचोगे?’’
“मैं तो यह फूल राजा जी के चरणों में अर्पित करना चाहता हूं.” सुदास यह उत्तर देकर चुप हो गया.
“तुम यह फूल राजा जी को देना चाहते हो, किंतु मैं तो यह फूल राजाओं के भी राजा जी के चरणों में अर्पित करना चाहता हूं. भगवान तथागत यहां पधारे हैं. बोलो, तुम इसका क्या दाम लेना चाहते हो?”
“मैं चाहता हूं कि मुझे इसके बदले एक माशा स्वर्ण मिल जाए.”
उस पुरुष ने तत्काल यह मूल्य स्वीकार कर लिया.
***
तभी शहनाइयां बज उठीं. मंगल बाद्य बज उठे. सुंदर थाल सजाए हुए सुंदर युवतियों का झुंड उधर ही चला आ रहा था. राजा प्रसेनजीत पैदल ही भगवान बुद्ध के दर्शनों के लिए जा रहे थे. नगर के बाहरी भाग में वे विराजमान थे. सुदास के पास कमल का फूल देखकर वे प्रसन्‍न हो उठे. इस प्रचंड शीत में फूल कहीं ढूंढ़ने से भी नहीं मिल रहे थे. ऐसे में इतने सुंदर पुष्प को देखकर उनका मोहित होना स्वाभाविक ही था. उनकी पूजा की थाली में पुष्प की ही कमी थी.
राजा जी ने सुदास से पूछा,“इस फूल का क्या मूल्य लोगे?”
सुदास बोला,“ महाराज, फूल तो यह सज्जन ले चुके हैं.”
“कितने में?’’
“एक माशा स्वर्ण में.’’
“मैं तुम्हें इस पुष्प के बदले दस माशा स्वर्ण दूंगा.’’
राजा जी की वंदना करके उन सज्जन ने कहा,“सुदास, मेरी तरफ़ से बीस माशे स्वर्ण ले लो.’’
राजा जी से निवेदन करते हुए वह सज्जन बोला,“महाराज, आप तथा मैं दोनों ही तथागत के चरणों में यह पुष्प अर्पित करना चाहते हैं. इसलिए आप और मैं इस समय राजा या प्रजा न होकर दो भक्तों की तरह ही व्यवहार करें तो ज़्यादा उचित रहेगा. भगवान की दृष्टि में सभी भक्त एक समान होते हैं.’’

मधुर वाणी में राजा प्रसेनजीत ने कहा,“भक्तजन, मैं आपकी बात सुनकर प्रसन्‍न हुआ. आप इस पुष्प के लिए बीस माशा दे रहे हैं, तो मैं इसका मूल्य चालीस माशा स्वर्ण देने के लिए तैयार हूं.’’
‘‘तो मेरे…’’
भक्त के वाक्य पूरा करने से पहले ही सुदास बोल पड़ा,“हे राजन्‌ एवं भक्तजन, आप दोनों ही मुझे क्षमा करें. मुझे यह पुष्प नहीं बेचना है.” इतना कह कर वह यहां से चल पड़ा. वे दोनों आश्चर्यपूर्वक उसे देखते रह गए.
***
सुदास पुष्प लेकर गौतम बुद्ध के स्थान की ओर चल पड़ा. वह सोच रहा था कि जिस बुद्ध देव को देने के लिए यह दोनों इस पुष्प की इतनी क़ीमत देने को तैयार हैं, यदि मैं स्वयं ही उन्हें यह पुष्प अर्पित करूं, तो मुझे और अधिक धन की प्राप्ति होगी.
वह महात्मा बुद्ध के स्थान की ओर चल पड़ा. उसने देखा कि एक वट वृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध ध्यानमग्न पद्मासन्‍न अवस्था में बैठे थे. उनके मुख पर एक अद्भुत आभा थी, चेहरे पर अद्भुत तेज था, ओठों पर हास्य की स्मित रेखा थी. पूरा व्यक्तित्व एक अनूठा प्रभाव लिए हुए था.
सुदास उन्हें देखकर अपने होशो-हवास भूलकर आदरपूर्वक निर्निमेष भाव से उन्हें निहारने लगा. आगे बढ़कर उसने आदरपूर्वक उनके चरणों में वह फूल अर्पित कर दिया. उसका तन-मन एक अलौकिक सुख का अनुभव कर रहा था.
महात्मा बुद्ध ने उससे प्रश्न किया,‘‘हे वत्स! क्‍या चाहिए? आपकी क्‍या इच्छा है?’’
सुदास मधुर स्वर में बोला,‘‘कुछ नहीं, बस आपका आशीर्वाद चाहिए.’’

इन्हें भीपढ़ें

grok-reply-1

मामला गर्म है: ग्रोक और ग्रोक नज़र में औरंगज़ेब

March 24, 2025
इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

इस दर्दनाक दौर की तुमको ख़बर नहीं है: शकील अहमद की ग़ज़ल

February 27, 2025
फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

फटी एड़ियों वाली स्त्री का सौंदर्य: अरुण चन्द्र रॉय की कविता

January 1, 2025
democratic-king

कहावत में छुपी आज के लोकतंत्र की कहानी

October 14, 2024

Illustration: Pinterest

Tags: Famous writers’ storyHindi KahaniHindi StoryHindi writersKahaniPhool ka moolyaRabindranath TagoreRabindranath Tagore ki kahaniRabindranath Tagore ki kahani Phool ka moolyaRabindranath Tagore storiesकहानीफूल का मूल्यबांग्ला के लेखक रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी कवि और कवितामशहूर लेखकों की कहानीरबिंद्रनाथ टैगोररबिंद्रनाथ टैगोर की कहानीहिंदी कहानीहिंदी के लेखकहिंदी स्टोरी
टीम अफ़लातून

टीम अफ़लातून

हिंदी में स्तरीय और सामयिक आलेखों को हम आपके लिए संजो रहे हैं, ताकि आप अपनी भाषा में लाइफ़स्टाइल से जुड़ी नई बातों को नए नज़रिए से जान और समझ सकें. इस काम में हमें सहयोग करने के लिए डोनेट करें.

Related Posts

Butterfly
ज़रूर पढ़ें

तितलियों की सुंदरता बनाए रखें, दुनिया सुंदर बनी रहेगी

October 4, 2024
त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)
क्लासिक कहानियां

त्रास: दुर्घटना के बाद का त्रास (लेखक: भीष्म साहनी)

October 2, 2024
ktm
ख़बरें

केरल ट्रैवल मार्ट- एक अनूठा प्रदर्शन हुआ संपन्न

September 30, 2024
Facebook Twitter Instagram Youtube
Oye Aflatoon Logo

हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.

संपर्क

ईमेल: [email protected]
फ़ोन: +91 9967974469
+91 9967638520
  • About
  • Privacy Policy
  • Terms

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • सुर्ख़ियों में
    • ख़बरें
    • चेहरे
    • नज़रिया
  • हेल्थ
    • डायट
    • फ़िटनेस
    • मेंटल हेल्थ
  • रिलेशनशिप
    • पैरेंटिंग
    • प्यार-परिवार
    • एक्सपर्ट सलाह
  • बुक क्लब
    • क्लासिक कहानियां
    • नई कहानियां
    • कविताएं
    • समीक्षा
  • लाइफ़स्टाइल
    • करियर-मनी
    • ट्रैवल
    • होम डेकोर-अप्लाएंसेस
    • धर्म
  • ज़ायका
    • रेसिपी
    • फ़ूड प्लस
    • न्यूज़-रिव्यूज़
  • ओए हीरो
    • मुलाक़ात
    • शख़्सियत
    • मेरी डायरी
  • ब्यूटी
    • हेयर-स्किन
    • मेकअप मंत्र
    • ब्यूटी न्यूज़
  • फ़ैशन
    • न्यू ट्रेंड्स
    • स्टाइल टिप्स
    • फ़ैशन न्यूज़
  • ओए एंटरटेन्मेंट
    • न्यूज़
    • रिव्यूज़
    • इंटरव्यूज़
    • फ़ीचर
  • वीडियो-पॉडकास्ट
  • लेखक

© 2022 Oyeaflatoon - Managed & Powered by Zwantum.