अगर आप शक्तिशाली हैं तो दूसरों के अधिकारों को न छीनें, उनकी दुनिया में अतिक्रमण न करें. सूरज को शक्ति का रूपक बनाकर लिखी कुंवर बेचैन की यह कविता कुछ यही संदेश देती है.
सूरज!
सोख न लेना पानी!
तड़प तड़प कर मर जाएगी
मन की मीन सयानी!
सूरज, सोख न लेना पानी!
बहती नदिया सारा जीवन
सांसें जल की धारा
जिस पर तैर रहा नावों-सा
अंधियारा उजियारा
बूंद-बूंद में गूंज रही है
कोई प्रेम कहानी!
सूरज, सोख न लेना पानी!
यह दुनिया पनघट की हलचल
पनिहारिन का मेला
नाच रहा है मन पायल का
हर घुंघुरू अलबेला
लहरें बांच रही हैं
मन की कोई बात पुरानी!
सूरज, सोख न लेना पानी!
Illustration: Pinterest