मुझे मिला है एक बड़ा-सा उपहार: डॉ संगीता झा की कविता
अपने बच्चे होने से ज़्यादा ख़ुशी बच्चों के बच्चे होने से मिलती है. हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ संगीता झा ...
अपने बच्चे होने से ज़्यादा ख़ुशी बच्चों के बच्चे होने से मिलती है. हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ संगीता झा ...
चीज़ें बदल रही हैं या कहें बहुत-सी चीज़ें पूरी तरह बदल चुकी हैं. परिवार, संस्कार और त्यौहार सबकुछ आधुनिक हो ...
कहने को तो आजकल कहा जाने लगा है कि एक बेटी मां से कहीं ज़्यादा पिता के क़रीब होती है. ...
दुनिया को सबसे ज़्यादा प्यारी लगती हैं आवाज़ें, पर जब यही आवाज़ें अपने हक़ की मांग करने लगें तो चुभने ...
अक्षय तृतीया और ईद का एक ही दिन आना, उन लोगों के मन में सुनहरी यादों के जी उठने जैसा ...
बचपन में भाई और बहन के बीच नोकझोंक न हो तो वह बचपन ही क्या? भले ही बचपन में भाई-बहन ...
हैदराबाद की जानी-मानी एंडोक्राइन सर्जन डॉ संगीता झा की कविताएं थोड़ी लंबी ज़रूर होती हैं, पर उन्हें पढ़ते हुए आपके ...
मूलत: कहानीकार डॉ संगीता झा की होली पर लिखी इस लंबी कविता को आप एक काव्यात्मक कहानी की तरह पढ़ ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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