पुस्तक आलोचना के गुर सीखें
यदि आप भी हिंदी भाषा की पत्रकारिता करना चाहते हैं/करते हैं और पुस्तकों की आलोचना या समीक्षात्मक आलोचना का काम ...
यदि आप भी हिंदी भाषा की पत्रकारिता करना चाहते हैं/करते हैं और पुस्तकों की आलोचना या समीक्षात्मक आलोचना का काम ...
उपन्यास ‘मैमराज़ी बजाएगी पैपराज़ी का बैंड’ एक अलग विषय पर बुना गया है. यह कहा जाए कि यह पाठक को ...
इस सीरीज़ की एक कहानी के भीतर कई कहानियां, कई आयाम बहुत कुशलता से समेटे गए हैं. समाज की कमियों ...
ये कृति मेरी नज़र में केवल यात्रा वृत्तांत न होकर एक कालजयी रचना है, जिसमें जितना यात्रा वृत्तांत है, उससे ...
इस दौर में जब से महिलाओं ने लेखन के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को पुरज़ोर तरीक़े से दर्ज कराना शुरू ...
काल के करघे पर आखरों की कताई, यह लेखिका, कवयित्री व चित्रकार अमृता सिन्हा का पहला काव्य संग्रह है. बोधि ...
बीते दिनों सुख्यात कवयित्री अनुराधा सिंह को दिल्ली के गांधी शांति प्रतिष्ठान के सभागार में शीला सिद्धांतकर स्मृति सम्मान से ...
हाल ही के दिनों में फ़िल्में पुरानी घिसी-पिटी कहानियों से हटकर प्रयोगवादी कहानियों की तरफ बढ़ रही हैं, गहराइयां भी ...
हाल ही में भारत पुस्तक भंडार से आया लेखिका प्रितपाल कौर का उपन्यास साल चौरासी वर्ष 1984 में हुए सिख ...
इधर करोना के दौरान थिएटर में जाकर फ़िल्में देखना तो सपनों की बात जैसा हो गया था. लेकिन काफ़ी समय ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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