एक पकी हुई शाम: जयंती रंगनाथन की नई कहानी
जब शाम पकी हुई हो, सबकुछ गड़बड़झाल हो, आपके मन की एक न सुनी जा रही हो तो क्या किया ...
जब शाम पकी हुई हो, सबकुछ गड़बड़झाल हो, आपके मन की एक न सुनी जा रही हो तो क्या किया ...
वर्ष 2019 में अपने गठन से लेकर अब तक यानी दो वर्षों में प्रलेक प्रकाशन हिंदी साहित्य के पटल पर ...
बचपन की प्यारी सहेली, जो किशोरवय होते-होते अपने प्रेमी संग भाग गई. जिससे न चाहते हुए, हिचकते हुए मिलना भी ...
मेधावी लोग किसी भी समुदाय में हो सकते हैं. खोजू की बिटिया मंजरी भी ऐसी ही थी. मेहनत, लगन से ...
विनोद तिवारी मीडिया जगत का वह जाना पहचाना नाम है, जिन्हें इस क्षेत्र के हर अंग का अच्छा अनुभव है ...
जब आपने अपने रिश्तों को निभाने की सारी कोशिशें कर देखी हों, जब आपने अपनी ओर से हर बदलाव को ...
कभी-कभी जीवन में ख़ुद के साथ या अपने क़रीबी लोगों के साथ घटी कुछ घटनाएं हमें एक अलग ही दुनिया ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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