चढ़ो अटारी धीरे-धीरे: कुंवर बेचैन की कविता
अटारी पर दीपक रखने जा रही प्रेमिका को हिदायत देती कुंवर बेचैन की कविता ‘चढ़ो अटारी धीरे-धीरे’ उसके सौंदर्य और ...
अटारी पर दीपक रखने जा रही प्रेमिका को हिदायत देती कुंवर बेचैन की कविता ‘चढ़ो अटारी धीरे-धीरे’ उसके सौंदर्य और ...
किसी भी सुविधा को हासिल करने के लिए हमें कुछ न कुछ क़ुर्बान करना ही पड़ता है. मरहूम कवि कुंवर ...
बहुत कुछ कर गुज़रने की इच्छा रखनेवाला आदमी किस तरह क़दम-क़दम पर थकान का शिकार होता है उसका लाजवाब वर्णन ...
हम जीवन की आपाधापी में इतने उलझे होते हैं कि उम्र कब बीत जाती है, पता ही नहीं चलता. कुंवर ...
अपने अंदर आए बदलावों का दोष दूसरों पर मढ़नेवालों को आईना दिखाती है, कुंवर बेचैन की कविता ‘लोहे ने कब ...
अगर आप शक्तिशाली हैं तो दूसरों के अधिकारों को न छीनें, उनकी दुनिया में अतिक्रमण न करें. सूरज को शक्ति ...
कवि मैथिलीशरण गुप्त के महाकाव्य ‘साकेत’ की यह रचना प्रेम की व्याख्या करती है प्रेम, प्रेम के लिए किए जानेवाले ...
अपनी कविताओं के माध्यम से चुटीले अंदाज़ में समाज को संदेश देनेवाले कुंवर बेचैन की यह कविता सबकुछ जानते समझते ...
एक पिता के लिए बेटियां क्या होती हैं, बता रही है कुंवर बेचैन की कविता ‘बेटियां’. बेटियां शीतल हवाएं हैं ...
हर वह शख़्स फिर चाहे वह महिला हो या पुरुष ‘अफ़लातून’ ही है, जो जीवन को अपने शर्तों पर जीने का ख़्वाब देखता है, उसे पूरा करने का जज़्बा रखता है और इसके लिए प्रयास करता है. जीवन की शर्तें आपकी और उन शर्तों पर चलने का हुनर सिखाने वालों की कहानियां ओए अफ़लातून की. जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर, लाइफ़स्टाइल पर हमारी स्टोरीज़ आपको नया नज़रिया और उम्मीद तब तक देती रहेंगी, जब तक कि आप अपने जीवन के ‘अफ़लातून’ न बन जाएं.
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